22 साल से नाम बदलकर दूसरे गांव में रहता था डकैती कांड का आरोपित, फर्जी कागजात के आधार पर की नौकरी
वर्ष 1996 मधुपुर रेल थाना क्षेत्र में हुई डकैती मामले में अख्तर शामिल था। उसने कई यात्रियों से लूटपाट की थी। जिसके बाद पुलिस उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दी थी। इसके बाद वह नाम बदलकर अपने घर से गांव में रहने लगा था। वह नौकरी भी कर रहा था।
संवाद सहयोगी, सारठ (देवघऱ) : हथियार के बल पर वर्ष 1996 में डकैती को अंजाम देनेवाला अख्तर पुलिस को चकमा देकर तब से अबतक फरार चल रहा था। आखिरकार उसे 22 साल बाद सारठ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सारठ के महराजगंज निवासी अख्तर मुन्ना मियां के नाम से पालोजोरी के नावाडीह गांव में रह रहा था। साथ ही पालोजोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगभग पांच साल से मानदेय पर बतौर चालक के पद पर कार्यरत रहा। उसने गिरफ्तारी से बचने के लिए आधार कार्ड में मुन्ना मियां के नाम से बनाया था। बहुत मुश्किल से पहचान के बाद उसे पुलिस ने गुरुवार की रात सीएचसी पालोजोरी से उठाया था। सारठ पुलिस के समक्ष पूछताछ में उसने कुबूल किया कि वह नाम बदलकर लंबे समय से रह रहा था। फरार अख्तर को पुलिस ने जेल भेज दिया है। सारठ थाना प्रभारी शैलेश कुमार पांडे, एएसआई सुरेश रवानी, अरविंद सिंह सहित अन्य पुलिस बल के सहयोग से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी के पूर्व सीएचसी प्रभारी लियाकत अंसारी को सूचना दी गई थी।
नाम बदलकर कर रहा था चालक का काम
सारठ थाना के महराजगंज निवासी अख्तर हुसैन, पिता अब्दुल हाफो वर्ष 1996 में ट्रेन में हथियार के बल पर डकैती करने के मामले में गिरफ्तार हुआ था। इस संबंध में मधुपुर रेल थाना डकैती का मामला दर्ज हुआ था। अख्तर जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद फरार हो गया। जिसके चलते उनका बेल टूट गया। न्यायालय ने वर्ष 2001 में आरोपित के विरुद्ध फरारी घोषित करते हुए वारंट जारी किया। जिसके बाद उनके विरुद्ध स्थाई वारंट निकाला था। पुलिस पिछले 22 साल से आरोपित की तलाश कर रही थी। महाराजगंज जाने पर उनके स्वजन बोलते थे कि उनका कोई अता पता नहीं है। इसी बीच विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली कि आरोपित अख्तर हुसैन अपना नाम बदलकर मुन्ना मियां के नाम से पालोजोरी के नावाडीह गांव में रह रहा था। अख्तर ने आधार कार्ड में भी नाम बदलवाकर मुन्ना मियां करा लिया था। मुन्ना मियां के नाम से पालोजोरी सीएचसी में चालक के पद पर कार्यरत है। बताया जाता है कि हथियार के बल पर ट्रेन डकैती के आरोपित पिछले चार पांच साल से फर्जी नाम से स्वास्थ्य उपकेंद्र पालोजोरी में चालक के पद पर कार्यरत थे।
सवाल उठना लाजमी है कि एक अपराधी नाम बदलकर पड़ोसी थाने में इतने वर्षों से रह रहा था लेकिन इसकी भनक तक किसी को नहीं लगी। आश्चर्य यह है कि सीएचसी में चालक के पद पर लेने के पहले विभाग ने सही से जांच पड़ताल नहीं किया। ये जांच का विषय है। इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी लियाकत अंसारी से पूछने पर बताया कि बालाजी फ्रंट लाइन संस्था के तहत उनका चालक में भर्ती हुआ है। पंजी देखने के बाद ही सही पता चल पाएगा की मुन्ना मियां कितने साल से चालक का काम कर रहा था। बताया कि लगभग चार-पांच साल से सीएचसी में प्राइवेट ड्राइवर के रूप में काम कर रहा था।
सारठ थाना प्रभारी शैलेश कुमार पांडेय ने कहा कि फरार अभियुक्त मुन्ना मियां को पालाेजोरी सीएचसी से गिरफ्तार के जेल भेज दिया गया है। आरोपित नाम बदलकर पालो जोरी में रह रहा था। सीएचसी में ड्राइवर के पद पर काम कर रहा था।
डकैती कांड का आरोपित अख्तर 22 साल तक नाम बदलकर पुलिस को दिया चकमा
पालोजोरी सीएचसी में मुन्ना मियां के नाम से कर रहा था चालक की नौकरी