देवघर में डेंगू के मरीज मिले, सदर अस्पताल में इलाज
देवघर सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में मंगलवार को बरमसिया रिफ्यूजी मोहल्ला का रहने वाला एक छात्र नकुल कुमार और दूसरे बेड पर जसीडीह के गनजोड़ा निवासी मुरारी यादव इलाजरत हैं।
जागरण संवाददाता, देवघर : देवघर सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में मंगलवार को बरमसिया रिफ्यूजी मोहल्ला का रहने वाला एक छात्र नकुल कुमार और दूसरे बेड पर जसीडीह के गनजोड़ा निवासी मुरारी यादव इलाजरत हैं। मुरारी एक मजदूर है। डेंगू से पीड़ित मरीजों के परिजनों के मुताबिक इलाज के लिए लगने वाली दवा उन्हें अस्पताल से बाहर दवा की दुकान से खरीद कर लानी पड़ रही है। कहा कि दो बोतल स्लाइन के लिए 2100 रुपये खर्च करने पड़े है। नकुल यहां बीते तीन दिन से यहां इलाजरत है। यही हाल मुरारी यादव की भी है। सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में कुल चार बेड हैं जिनमें फिलहाल दो खाली हैं। मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें काफी परेशानी हो रही है। इधर, देवघर के अलग-अलग क्षेत्रों से डेंगू के मरीजों का सामने आने खतरे की दस्तक है।
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कैसे और कब होता है डेंगू
डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इस प्रजाति के मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में व खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीने यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता है।
----------- कैसे फैलता है डेंगू
डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।
-------------- मच्छर के काटने के तीन से पांच दिनों के बाद दिखती है बीमारी
मच्छर के काटे जाने के करीब तीन से पांच दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद तीन से 10 दिनों की भी हो सकती है।
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ये है डेंगू का प्रकार
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- क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
- डेंगू हैमरेजिक बुखार (डीएचएफ)
- डेंगू शॉक सिड्रोम (डीएसएस)
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डेंगू हैमरेजिक व डेंगू शाक सिड्रोम है ज्यादा खतरनाक
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डेंगू हैमरेजिक व डेंगू शाक सिड्रोम सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता है। लेकिन अगर किसी को डीएचएफ या डीएसएस है और उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता है तो संभव है मरीज की जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे अहम है कि बुखार साधारण डेंगू है या डीएचएफ या डीएसएस
------------------ ये हैं साधारण डेंगू के प्रमुख लक्षण
- ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना
- सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है
- बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मिचलाना और मुंह का स्वाद खराब होना
- गले में हल्का-सा दर्द होना
- शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना
---------------------- डेंगू हैमरेजिक बुखार
- नाक और मसूढ़ों से खून आना
- शौच या उलटी में खून आना
- स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकते पड़ जाना
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ये डेंगू शॉक सिड्रोम का लक्षण
इस बुखार में डीएचएफ के लक्षणों के साथ 'शॉक 'की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जिसमें मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है।मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है। मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है। उसका ब्लड प्रेशर एकदम नीचे गिरने लग जाता है। ------------
आयुर्वेदिक तरीके से भी इलाज संभव
आयुर्वेद में डेंगू की कोई पेटेंट दवा नहीं है। लेकिन डेंगू नहीं हो इसके लिए यह नुस्खा कारगर बताया गया है। एक कप पानी में एक चम्मच गिलोय का रस, दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए और पांच दिन तक लें। चाहें तो इसमें थोड़ा-सा नमक और चीनी भी मिला सकते हैं। दिन में दो बार सुबह नाश्ते के बाद और रात में डिनर से पहले यह फायदेमंद है। -----------
डेंगू से कैसे बचें
- घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें।
- अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन डालें।
- रूम कूलर, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें।
- डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
- खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगाएं।
- मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स का इस्तेमाल करें।
-------------- दवा की कोई कमी नहीं है। अगर फिर भी मरीजों को दवा बाहर से क्रय करना पड़ रहा है तो वे इसकी जानकारी लेंगे और इसके लिए समुचित पहल करेंगे। मरीजों का बेहतर इलाज हो इसके लिए व्यवस्था मुकम्मल होगी।
डॉ. विजय कुमार, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल देवघर डेंगू की जांच के लिए ये है टेस्ट
अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं पर तेज बुखार बना रहता है तो भी एक-दो दिन के इंतजार के बाद फिजिशियन से सलाह जरुरी है। । डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस-1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरु में ज्यादा पॉजिटिव आता है जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है। अगर तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) कराना बेहतर है। डेंगू की जांच कराते हुए वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लेना चाहिए।
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प्लेटलेट्स की है अहम भूमिका
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आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरुरत पड़ती है।
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