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पर्यटन स्थल के रूप में नहीं विकसित हो सका देवघर का सिकटिया बराज

संवाद सहयोगी चितरा ( देवघर) देवघर जिले के सिकटिया बराज की खूबसूरती मन मोहनेवाली है। यहा

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 01:04 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 01:04 AM (IST)
पर्यटन स्थल के रूप में नहीं विकसित हो सका देवघर का सिकटिया बराज
पर्यटन स्थल के रूप में नहीं विकसित हो सका देवघर का सिकटिया बराज

संवाद सहयोगी, चितरा ( देवघर) : देवघर जिले के सिकटिया बराज की खूबसूरती मन मोहनेवाली है। यहां सैलानियों के सुकून मिलता है, मगर सुविधाओं के अभाव में वे दो घंटे भी यहां बिता नहीं पाते। झारखंड गठन के बाद आधा दर्जन से अधिक कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री अजय बराज सिकटिया आ चुके हैं। सभी राजनेताओं ने इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणाएं कीं। पर्यटक स्थल बनने का सुनहरा ख्वाब देखते हुए अनेक लोग इस दुनिया से रुखसत हो गए, मगर स्थिति जस की तस है। तीन करोड़ की लागत से यहां चिल्ड्रेन पार्क समेत कई योजनाओं की स्वीकृति के लिए पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है, मगर करोड़ों से बने पर्यटक भवन भूत बंगला बन गया है। इस मनोरम स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाता तो प्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता। यहां साल भर यहां सैलानियों का आवागमन होता है, मगर उनके लिए कोई सुविधा नहीं है। दो-तीन घंटे भी बिताना कठिन है। यहां न पार्क है और न बोटिंग की व्यवस्था। रहने-ठहरने के इंतजाम के बारे में किसी सरकार ने सोचा नहीं है। आइए जानते हैं इस संबंध में लोगों के विचार।

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तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो, मंत्री गिरिराज सिंह, मंत्री हरिनारायण राय समेत कई लोग यहां आए। कई घोषणाएं हुई पर किसी पर अमल नहीं हुआ। लोगों का सपना साकार नहीं हुआ।

लाल मोहन राव, साहित्यकार

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बराज सिकटिया की खूबसूरती निहारने में सैलानी थकते नहीं हैं। विदेशी मेहमान पक्षियों के कलरव से सुबह शाम संगीत जैसी मधुर ध्वनि गूंजती है। आसपास के लोग भी आनंद लेने बराज की तरफ जाते हैं।

प्रशांत सिंह कृति, स्थानीय युवक

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यहां सालों भर सैलानियों की आवाजाही होती रहती है। उनके ठहराव की कोई व्यवस्था नही है। करोड़ों की लागत से निर्मित पर्यटक भवन का इस्तेमाल के अभाव में भूत बंगला बना हुआ है। सरकार ध्यान दे।

गणेश सिंह, आरटीआइ कार्यकर्ता

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बच्चे जनवरी माह में पिकनिक करने वहां जाते है। लेकिन उनके मनोरंजन के कोई साधन नहीं हैं, जिसमें घंटा, दो घंटा बीता सकें। बच्चों के लिए पार्क वोटिग आदि की व्यवस्था यहां होनी चाहिए।

घनश्याम महतो, ग्रामीण

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