अवैध निकासी में आरोपित लिपिक पुलिस पकड़ से बाहर
पर सत्यापन कराना अनिवार्य होता है। जो एसबीआइ मुख्य शाखा के कर्मियों द्वारा नहीं किया गया। इससे भी स्पष्ट है कि एसबीआई मुख्य शाखा के कर्मी कहीं न कहीं इस गबन धोखाधड़ी व जालसाजी में संलिप्त हैं। इस बाबत आरडीडीई ने बैंक पदाधिकारियों को कार्रवाई के लिए लिखा है।
जागरण संवाददाता, देवघर : जिला शिक्षा पदाधिकारी देवघर के फर्जी हस्ताक्षर से 23.40 लाख निकासी मामले में बीते तीन जून को डीईओ डॉ. माधुरी कुमारी की शिकायत पर नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एक आरोपित की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। बता दें कि इस मामले में दो लिपिक आरोपित थे। इसमें सोनू कुमार झा को नगर थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन प्राथमिकी के एक माह से अधिक समय बीतने के बाद दूसरा आरोपित पंकज कुमार श्रीवास्तव की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। दोनों लिपिकों को सक्षम पदाधिकारियों द्वारा निलंबित तो कर दिया गया है, लेकिन बर्खास्तगी के सवाल पर कहा जा रहा है कि अभी जांच चल रही है। जांच अभी चल ही रही थी कि पोशाक मद में डीईओ कार्यालय के बचत खाता से 31.64 लाख एक और अवैध निकासी का मामला सामने आ जाने से शिक्षा महकमे में सनसनी फैल गई है। इस बार भी आरोप दोनों लिपिकों पर ही लगा है। 23.40 लाख की निकासी तो 19 दिसंबर 2019 से बीते 19 मई तक हुई, लेकिन 31.64 लाख की निकासी तो इसके पूर्व ही 27 अप्रैल 2019 के आसपास कर ली गई थी। कहना न होगा कि वर्तमान डीईओ डॉ. माधुरी कुमारी ने 31 मई 2019 को क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, दुमका राजकुमार प्रसाद सिंह से देवघर डीईओ का प्रभार ग्रहण किया। इसके पूर्व आरडीडीई देवघर डीईओ के प्रभार में थे। आरडीडीई की जांच में ही 31.64 लाख की अवैध निकासी का खुलासा हुआ। बैंककर्मियों पर लापरवाही का आरोप
31.64 लाख की अवैध निकासी मामले में आरडीडीई ने देवघर डीईओ को पत्र लिखकर नगर थाना के अनुसंधानकर्ता से मिलकर जांच के लिए अनुरोध करने का निर्देश दिया है। पत्र में आरडीडीई ने विषय में तो 23.40 लाख की अवैध निकासी का उल्लेख किया है। जबकि पत्र के अंदर 31.64 लाख के अवैध निकासी का जिक्र है। पत्र में आरडीडीई ने कहा है कि 18 फरवरी 2019 से 31 मई 2019 तक तथा बीते 10 जनवरी से 12 मार्च तक जिला शिक्षा पदाधिकारी, देवघर के प्रभार में वह स्वयं थे। अवैध निकासी से संबंधित मामले को संज्ञान में लेते हुए डीईओ, देवघर द्वारा निर्गत चेकों की जांच उन्होंने की। जांच के लिए उन्होंने एसबीआइ मुख्य शाखा से कई प्रतिवेदन की मांग की। इसके आलोक में बैंक ने जो प्रतिवेदन उपलब्ध कराया उसका अवलोकन करने पर पाया कि डीईओ, देवघर के प्रभार में रहते हुए उन्होंने कुल आठ चेक भुगतान के लिए एसबीआइ, मुख्य शाखा को भेजा था और चेक का भुगतान उनके हस्ताक्षर का मिलान करते हुए बैंक द्वारा संबंधितों को किया गया। इस क्रम में उन्होंने 27 अप्रैल 2019 को वित्तीय वर्ष 2018-19 में छात्र-छात्राओं को निश्शुल्क पोशाक के लिए विद्यालयों की सूची के साथ 33.64 लाख का चेक, अधिकृत पत्र के साथ एसबीआइ, मुख्य शाखा को निर्गत किया। लेकिन, पूर्व के मामले में आरोपित लिपिक पंकज कुमार श्रीवास्तव व सोनू कुमार झा ने आरडीडीई द्वारा निर्गत मूल चेक व पत्र, बैंक को उपलब्ध नहीं कराया। आरडीडीई के अनुसार लिपिकों द्वारा जालसाजी व धोखाधड़ी करते हुए निजी स्वार्थ के लिए जाली पत्र व चेक पर डीईओ का फर्जी हस्ताक्षर कर भुगतान के लिए बैंक को उपलब्ध कराया गया। मूल पत्र व चेक को नष्ट कर दिया गया। फर्जी चेक व फर्जी पत्र के आधार पर संबंधित बैंक कर्मियों द्वारा मूल कर्तव्य का निर्वहन नहीं करते हुए 31.64 लाख का भुगतान कर दिया गया। जिससे स्पष्ट है कि बैंककर्मियों द्वारा फर्जी हस्ताक्षरयुक्त पत्र का गंभीरता से अध्ययन नहीं किया गया। आरडीडीई के अनुसार बैंक कर्मियों को यह भी संज्ञान लिया जाना चाहिए था कि पत्र में विद्यालयों के साथ किसी व्यक्ति का नाम भी अंकित किया गया है। अगर बैंक कर्मियों द्वारा संज्ञान लिया जाता तो इस अवैध निकासी पर रोक लगाई जा सकती थी। इससे स्पष्ट है कि बैंक कर्मियों व आरोपित लिपिकों की प्रथमदृष्टया मिलीभगत प्रमाणित है। किसी भी बैंक की प्रथम जिम्मेदारी होती है कि निर्गत चेक व पदाधिकारी के हस्ताक्षर का नमूना जो बैंक में अभिलेख के रूप में संरक्षित रहता है से मिलान करने के पश्चात सही पाए जाने पर ही भुगतान किया जाता है। भुगतान के पूर्व चेक निर्गत करने वाले पदाधिकारी से भी दूरभाष पर सत्यापन कराना अनिवार्य होता है। जो एसबीआइ मुख्य शाखा के कर्मियों ने ऐसा नहीं किया। इससे भी स्पष्ट है कि एसबीआइ मुख्य शाखा के कर्मी कहीं न कहीं इस गबन, धोखाधड़ी व जालसाजी में संलिप्त हैं। इस बाबत आरडीडीई ने बैंक पदाधिकारियों को कार्रवाई के लिए लिखा है।
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ऐसा कोई पत्र मुझे प्राप्त नहीं हुआ है और नहीं ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में है। मेरे कार्यकाल में भी ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।
डॉ. माधुरी कुमारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, देवघर डीईओ कार्यालय देवघर के खाते से अवैध निकासी से संबंधित सभी मामलों से जिले के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक के अलावा पूर्व के मामले में नगर थाना के अनुसंधानकर्ता को अवगत करा दिया गया है।
राजकुमार प्रसाद सिंह, क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, दुमका।