कोराना की दस्तक से थमी देवघर की रफ्तार
बैद्यनाथ की नगरी देवघर का टॉवर चौक शहर का हृदयस्थल है। गुरुवार की सुबह 10 बजे हैं और इस चौक पर गिने-चुने ही शहरवासी और दवाओं की दुकानों के अलावा कुछ अन्य दुकानें खुली हैं। सावन के महीने का एक पखवारा बीत चुका है और देवघरवासी बीते वर्षों में देवघर बाजार की ऐसी स्थिति अब तक नहीं देखी थी। टॉवर चौक से ठीक सामने से जो सड़क सीधे बैद्यनाथ मंदिर की ओर से
जागरण संवाददात, देवघर
बैद्यनाथ की नगरी देवघर का टॉवर चौक शहर का हृदयस्थल है। गुरुवार की सुबह 10 बजे हैं और इस चौक पर
गिने-चुने ही शहरवासी और दवाओं की दुकानों के अलावा कुछ अन्य दुकानें खुली हैं। सावन के महीने का एक पखवारा बीत चुका है और देवघरवासी बीते वर्षों में देवघर बाजार की ऐसी स्थिति अब तक नहीं देखी थी। टॉवर चौक से ठीक सामने से जो सड़क सीधे बैद्यनाथ मंदिर की ओर से जाती है उस सड़क पर तो अजीब-सी उदासी है। दुकानें बंद और सावन में केसरिया रंग से पटा रहने वाला इस पथ पर पैदल चल पाना भी मुश्किल होता था। अभी इस पथ पर नंदी (बैल) ठाट से विचरण कर रहा है।
टॉवर चौक के ठीक सामने है गांधी की प्रतिमा स्थल। सामान्य दिनों में इसका परिसर किसी न किसी कार्यक्रम के बहाने गुलजार रहता था। लेकिन अभी यहां सन्नाटा है। इसी प्रतिमा स्थल के नीचे रामा राउत की चाय की गुमटी है। रामा एक हाथ से दिव्यांग है। चाय की दुकानदारी से अभी बमुश्किल 50 रुपये की कमाई हो रही है। दिव्यांग पेंशन से प्रतिमाह मिलने वाला 1000 रुपये जीने का सहारा बन रहा है। रामा कहते हैं कि अगर अभी सावन के मेला में तो दिन-रात चाय की दुकान चलती और अच्छी कमाई होती पर कोविड-19 के संक्रमण ने जीना मुहाल कर दिया है। इसी सड़क के किनारे ठाढ़ी गांव के 72 वर्षीय रामधनी दास अपनी रिक्शा पर बैठकर ग्राहक के आने का इंतजार कर रहे हैं। पूछने पर कहा कि अभी रोजना 100 रुपये की कमाई हो जाए तो गनीमत समझिए । श्रावणी मेला लगता तो 1000 रुपये से अधिक की कमाई रोजाना होती। कोविड-19 की वजह से टॉवर चौक की तमाम व्यस्ततम होटल एवं रेस्टोरेंट में भी खामोशी है। होटल बंद हैं और रेस्टोरेंट में इक्का-दुक्का ग्राहक भी आ जाएं तो अहोभाग्य। रेस्टोरेंट व्यवसाय से जुड़े अनिल कहते हैं कि सावन में ग्राहक कतार लगाकर अपनी बारी आने का इंतजार करते थे लेकिन कोविड-19 की ऐसी मार पड़ी है कि न कुछ कह सकते हैं और ना ही कुछ कर सकते हैं। वीआइपी चौक की ओर आगे बढ़ने पर अधिकांश दुकानें खाली दिखती हैं। फुटपाथ पर फल, सब्जी और अन्य सामग्रियों की दुकान लगाने वाले भी ग्राहकों के आने की टकटकी लगाए हैं। इस पथ से बाएं ओर मुड़ने पर सेंट्रल प्लाजा बिग बाजार है लेकिन दिन के करीब 11.30 बजे भी यहां भीड़ के बजाए इक्का-दुक्का लोग खड़े दिखते हैं। सावन के महीना में यह इलाका भी गुलजार रहता था लेकिन अभी न तो यहां के चौराहे पर चाट और फास्ट फूड की दुकानें सज रहीं हैं और ना ही कोई भीड़भाड़ है। बिग बाजार के सामने खड़े सुनील सिंह कहते हैं कि बड़ी मुश्किल दौर है। महामारी के बारे में सुना करते थे लेकिन अभी इसका सामना कर रहे हैं। सबको सावधान रहने की जरूरत है। देवघर में तेजी से संक्रमण फैल रहा है। इसलिए मास्क, सैनिटाइजर और तमाम सुरक्षा के उपायों को अपनाने में ही भलाई है। जिदा रहेंगे तो बाजार में हमसे ही फिर से रौनक लौटेगी। इसलिए सबको जिदा रहने के लिए सावधान व सजग रहना ही होगा..।