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top news of deoghar गंभीर बीमार से परेशान मरीजों तक को नहीं छोड़ रहे हैं साइबर ठग

शातिर ठग के बारे कहावत है कि ऐसा कोई सगा नहीं जिसे उसे ठगा नहीं। गंभीर बीमारी से परेशान मरीजों को ठगने साइबर ठग ने अस्पताल और डाक्टर की जगह अपने मोबाइल नंबर देकर ठगी शुरू की है जिस वजह से गंभीर बीमार मरीज भी इनके शिकार हो रहे हैं।

By Gautam OjhaEdited By: Published: Tue, 13 Sep 2022 03:24 PM (IST)Updated: Tue, 13 Sep 2022 03:24 PM (IST)
top news of deoghar गंभीर बीमार से परेशान मरीजों तक को नहीं छोड़ रहे हैं साइबर ठग
गंभीर बीमारी से परेशान लोगों से ठगी करने वाले साइबर अपराधियों की प्रतिकात्मक तस्वीर

जागरण संवाददाता, देवघर : साइबर ठग प्रतिदिन ठगी के लिए नये-नये पैंतरे अजमा रहे हैं। ठगी के इस धंधे से जुड़े देवघर के दो लोगों की हुई गिरफ्तारी के बाद पता चला कि ये लोग अस्पताल में डाक्टर से इलाज कराने के नाम पर भी आनलाइन ठगी की शुरुआत कर चुके हैं। ये ठगी गूगल एड के माध्यम से किया जाता था। साइबर ठग देश के विभिन्न अस्पताल का गूगल पर प्रचार निकालते है। इसके लिए उनके वेबसाइट को कापी कर फर्जी वेबसाइट तैयार कराना होता है। इसके बाद गूगल सर्च इंजन आप्टिमाइजेशन के जरिए गूगल एड देकर ये फर्जी वेबसाइट और लिंक को उपर शेयर करते हैं। साथ ही फर्जी विज्ञापन में अस्पताल के नंबर के जगह इनका नंबर होता है। उस नंबर पर जब कोई डाक्टर से मिलने के लिए समय लेने की बात करता है तो ये साइबर ठग उसे अपने झांसे में लेकर विज्ञापन में दिए गए लिंक को भेजकर उसमें क्लिक करने को कहता है या फिर उन्हें कोई स्क्रीन शेयरिंग एप डालनलोड करने को कहते हैं। उसके बाद बैंक खाता की जानकारी लेकर लोगों को ठगी का शिकार बनाया जाता है। देश के ऐसे कई प्रदेश के लोगों से ठगी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। देवघर साइबर थाना की पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है।

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केस स्टडी एक ः नवी मुंबई अंबोली की रहने वाली डा. अफसाना शौकत खातुन से 98 हजार 700 की ठगी की गई है। उन्हें वरली स्थित रुबी अस्पताल में किसी को महिला रोग विशेषज्ञ को दिखाना था। उन्होंने इसके लिए गुगल पर सर्च किया। इसके लिए उन्होंने एक सितंबर को अस्पताल के वेबसाइट का सर्च किया जो कि पुरी तरह फेंक था। उन्हें इस बात का एहसास नहीं हुआ। दिए गए नंबर पर फोन करने पर उन लोगों ने आनलाइन फीस जमा करने को कहा। पहले तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया लेकिन बाद में राशि जमा करने को राजी हो गए। इसके बाद मरीज के मोबाइल लिंक पर क्लीक करने को ठग द्वारा कहा गया। लिंक के एक्सेस होते ही उनके बैंक खाता से रुपये की अवैध निकासी कर ली गई। इस सिलसिले में उन्हें साइबर सेल सीआइडी मुंबई में अपनी शिकायत दर्ज की है। हैरानी की बात ये है कि वे तब ठगी की शिकार हुई जबकि वह खुद पहले दो वर्ष तक इसी अस्पताल में बतौर डाक्टर काम कर चुकी हैं।

केस स्टडी दो : असम के गुवाहाटी शहर की रहने वाली रिंपी शेट्ठी को अपने रिश्तेदार को किसी डाक्टर से दिखाना था। इसके लिए उन्होंने वहां के नारायणा अस्पताल में डाक्टर का समय बुक करने के लिए दिए गए नंबर पर फोन किया। ये नंबर भी साइबर ठग का था। उसके बाद उसे लिंक भेजा गया। उसके बाद झांसा में लेकर लिंक पर क्लीक करने पर उनके बैंक खाता से 50 हजार की अवैध निकासी कर ली गई।

केस स्टडी तीन : रांची के बुंडू की रहने वाली अल्का कुमारी को अपनी मां को एक हड्डी रोग विशेषज्ञ से दिखाना था। उन्होंने भी अस्पताल के वेबसाइट को सर्च किया। फिर दिए गए नंबर पर काल किया। काल करने पर बताया गया कि आन लाइन पेयमेंट करना होगा। साथ ही वह अस्पताल भी पहुंच गई। बताया गया कि एक आदमी आकर मिलेगा और डाक्टर से मिला देगा। फिर लिंक पर क्लिक करने पर उनके भी बैंक खाता से करीब 50 हजार की अवैध निकासी कर ली गई।

केस स्टडी चार :पंजाब की हरप्रीत कौर ने वहां के एक अस्पताल में नौकरी का एड देखा। फिर दिए गए वेबसाइट के नंबर पर पांच सितंबर को काल किया। उसके बाद फार्म भरने के नाम पर, अप्लाई करने के नाम पर साइबर ठगों ने तीन बार में करीब पांच हजार रुपया की ठगी कर ली। बाद में उन्हें पता चला कि वे असल में ठगी की शिकार हो गई हैं।

दो साइबर ठगों गिरफ्तार : डाक्टर का नंबर लगाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को साइबर थाने की पुलिस ने पकड़ा है। पकड़े गए आरोपितों में से एक नीतिश कुमार चौधरी जिले के सोनारायठाढी के सिरसा गांव का रहने वाला है। वहीं दूसरा छोटेलाल रवानी जिले के मधुपुर के कल्हाजोर गांव का रहने वाला है। इस गिरोह के कुछ और लोगों के बारे में पुलिस को पता चला है जिनकी तलाश की जा रही है। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

ठगी से बचने के उपाय : कस्टमर केयर का मोबाइल नंबर या हेल्पलाइन नंबर गूगल सर्च इंजन पर न खोंजे। किसी भी समस्या के समाधान के लिए संस्थान के आधिकारिक वेबसाइट को ही देंखे। मदद के लिए काल कई बार ठगों द्वारा की जाती है, किसी से अपने बैंक खाता, ओटीपी की जानकारी न दें। किसी अनजाने लिंक पर क्लीक न करें। किसी स्क्रीन शेयररिंग एप को किसी के कहने पर डाउनलोड न करें।

देवघर के साइबर सेल डीएसपी सुमित प्रसादका कहना है कि डाक्टर से सहायता के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह का पता चला है। इसके दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। मामले की छानबीन की जा रही है।


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