पीएम ने कम किया परीक्षा का भय, बढ़ाया जोश
भिभावकों का दबाव रहता है उसे अनसुना कर परीक्षा पर ध्यान देना चाहिए। शांत स्वच्छ व तरोताजा मन से परीक्षा में शामिल होने से सफलता मिलती है। कभी भी परीक्षा में असफलता पर निराश नहीं होना चाहिए। इस अवसर पर वार्डन इंदिरा मिश्रा सहित बड़ी संख्या में शिक्षिका व छात्राएं मौजूद थी।
जागरण संवाददाता, देवघर : दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सोमवार को यहां के विभिन्न विद्यालयों में किया गया।कहीं बड़े प्रोजेक्टर पर तो कहीं टीवी के माध्यम से बच्चों को सीधा प्रसारण दिखाया गया। बच्चे पूरे मनयोग से इस कार्यक्रम को देख व सुन रहे थे। इस कार्यक्रम के संबंध में आर मित्रा प्लस टू विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ. शंकर प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के उत्प्रेरण से परीक्षा को लेकर बच्चों में जो भय होगा वह कम होगा और पूरे जोश-खरोश से परीक्षा में शामिल होंगे। इससे परीक्षाफल भी बेहतर होगा। आए दिन हताशा में छात्रों द्वारा गलत कदम उठाने के मामले सामने आ रहे हैं। इस तरह के कार्यक्रम से निश्चित रूप से इसमें कमी आएगी और माहौल बदलेगा। देश के प्रधानमंत्री उत्प्रेरित कर रहे हैं अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच, यह देश व भावी पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं शिक्षक अरविद राज जजवाड़े ने कहा कि यह प्रधानमंत्री की खासियत रही है कि वह ऐसी चीजों को करते रहते हैं, जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं हो, चाहे वह स्वच्छता अभियान हो या फिर बच्चों के कोमल व मानसिक पटल को छूने का काम हो। इस कार्यक्रम के माध्यम से पीएम ने देश के भविष्य को लक्ष्य किया है कि वह जीवन में बेहतर करें। परीक्षा का भय समाप्त हो और जीवन की चुनौतियों का सामना डटकर करें। स्मार्ट फोन के बारे में भी पीएम ने बच्चों को समझाया कि इसमें से समय निकालकर कुछ समय अपने दादा-दादी के साथ बीताओ, यह सुकून देगा और जीवन के लिए हितकर होगा। इस परीक्षा के अलावा जीवन में और परीक्षा होना बाकी है, इसलिए अपने लक्ष्य से हिलो नहीं। कस्तूरबा की छात्राओं ने कहा- मनोबल बढ़ा
संवाद सूत्र, सारवां (देवघर) : कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में छात्राओं ने टीवी के माध्यम से परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम को देखा। छात्राओं ने कार्यक्रम से सीख लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के संबोधन को सुनने के बाद मनोबल बढ़ा है। परीक्षा से डरना नहीं चाहिए। अभिभावकों का दबाव रहता है, उसे अनसुना कर परीक्षा पर ध्यान देना चाहिए। शांत, स्वच्छ व तरोताजा मन से परीक्षा में शामिल होने से सफलता मिलती है। कभी भी परीक्षा में असफलता पर निराश नहीं होना चाहिए। वार्डन इंदिरा मिश्रा सहित बड़ी संख्या में शिक्षिका व छात्राएं मौजूद थी।