सीबीआइ, इडी व आइटी के दम पर भाजपा जीतना चाहती चुनाव
देवघर : पूर्व मुख्यमंत्री व झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जनता का मूड है कि विपक्ष ि
देवघर : पूर्व मुख्यमंत्री व झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जनता का मूड है कि विपक्ष मिलकर चुनाव लड़े। वर्ष 2006 में पार्टी का गठन हुआ था तो पहला आम चुनाव भी झाविमो ने कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था। वर्ष 2014 में भी कोशिश की गई लेकिन संभव नहीं हो पाया। अब वर्ष 2019 में जनता की मांग है कि विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़े। देश व प्रदेश का जो हाल है वह किसी से छिपा नहीं है। वह गठबंधन के पक्षधर हैं, इसकी कोशिश की जा रही है।
शुक्रवार को बाबा बैद्यनाथ के पूजा-अर्चना के बाद मरांडी ने पत्रकारों से कहा कि केंद्र में स्थिति अजीब हो गई है। सीबीआइ ही सीबीआइ के दफ्तर में छापा मार रही है। देश के प्रधानमंत्री दो बजे रात में सीबीआइ के निदेशक को हटाते हुए छुट्टी पर भेज देते हैं। इससे लगता है कि पीएम देश से कुछ छिपाना चाहते हों, जो लगत है। सीबीआई निदेशक की नियुक्ति होती है तो, इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता व सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहते हैं। हटाने का अधिकार भी इनको है। इस तरह से निदेशक को हटाना स्पष्ट करता है कि दाल में कुछ काला है। देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्थान ही खराब हो जाए तो लोग न्याय की उम्मीद कहा करेंगे। एक साल पूर्व सुप्रीम कोर्ट के चार जज ने भी प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि लोकतंत्र ठीक से नहीं चल रहा है। यह दर्शाता है कि देश की हालत अच्छी नहीं है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री ने जो घोषणा की उसमें एक भी पूरा नहीं हुआ, चाहे वह रोजगार, कालाधन या महंगाई का मुद्दा हो। यह सरकार सीबीआइ, ईडी व आइटी के माध्यम से चुनाव जीतना चाहती है। जो भी प्रधानमंत्री या भाजपा का विरोध करता है, उनके घर पर छापेमारी करा दी जाती है। इन संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है। आजाद भारत में यह पहली बार हो रहा है। फिर से यह सरकार आई तो जन की बात नहीं सुनेंगे बल्कि अपने मन की बात करेंगे। बाबा मंदिर पहुंचा तो पुरोहितों की तकलीफ भी सुनी। यहां के पंडा के यजमान पूरे देश में हैं। यह सरकार मनमानी पर उतर आई है और गलत निर्णय को जबर्दस्ती जनता पर थोपा जा रहा है। होना तो यह चाहिए कि सभी मिलकर निर्णय लें, अच्छे काम का कोई भी विरोध नहीं करेगा। इस सरकार ने बिना सोचे-समझे नोटबंदी कर दी, आलम यह है कि आज तक इससे अर्थ जगत ऊबर नहीं पाया है। अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर है। जीएसटी के कारण छोटे व्यवसायी परेशान हैं।