टर्मिनल की घेराबंदी का विरोध, दस महिला हिरासत में
जसीडीह (देवघर): जसीडीह समीप इंडियन ऑयल टर्मिनल के आवंटित भूखंड की घेराबंदी कार्य का
जसीडीह (देवघर): जसीडीह समीप इंडियन ऑयल टर्मिनल के आवंटित भूखंड की घेराबंदी कार्य का विरोध करने वाली दस महिला विस्थापितों को पुलिस ने बुधवार को हिरासत में ले लिया। शाम में महिला थाना से सभी को पीआर बांड पर छोड़ दिया गया। बुधवार दोपहर को जैसे ही काम शुरू कराया गया कि एक बार फिर विरोध शुरू हो गया। मौके पर मौजूद पुलिस ने कुछ लोगों को तो खदेड़ दिया। जो ट्रेंच पर ही बैठ गए और उठने को तैयार नहीं हुए उसे पुलिस उठाकर थाना ले आई। लंबे समय से यह विवाद चल रहा है कि इंडियन ऑयल कारपोरेशन को ग्रीन एरिया डेवलपमेंट के लिए 34.07 एकड़ जमीन जो 2012 में एसपियाडा द्वारा दी गई है उसका मुआवजा नहीं मिला है। जबकि प्रशासन का कहना है कि सभी विस्थापितों को 1982 में ही अधिग्रहण के समय मुआवजा दे दिया गया है। कुछ लोगों को आपसी विवाद होगा जिसकी राशि नियमानुसार कोषागार में जमा हो जाता है। जिन लोगों को यह लग रहा है कि एसपियाडा उनकी जमीन का मुआवजा दिए बिना उनकी जमीन जबरन ले लिया है तो वह एसपियाडा के खिलाफ न्यायालय जा सकते हैं। हालांकि विस्थापितों का कहना है कि उनकी जमीन जबरन ली गई है। विस्थापन नीति के तहत कुछ ही लोगों को टर्मिनल में नौकरी मिली है।
मंगलवार को देवघर अंचलाधिकारी जयवर्द्धन कुमार के नेतृत्व में घेराबंदी का काम किया जा रहा था। इस दौरान विस्थापितों ने अपनी पुरानी मांगों को लेकर काम को बंद करा दिया था। इसके बाद बुधवार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में काम को दुबारा शुरू कराया गया। इस क्रम में दर्जनों विस्थापित कार्यस्थल पर पहुंचकर काम रोकने का प्रयास करने लगे। जसीडीह थाना के एसआई करुणा ¨सह, एएसआई रामानंद ¨सह समेत काफी संख्या में पुलिसकर्मी ने विरोधियों को रोका।
10 महिला हिरासत में
जमीन विवाद में बदलाडीह गांव के 10 महिलाओं को हिरासत में लेकर महिला थाना में रखा गया है। जिसमें सीता हांसदा, सविता सोरेन, रानी सोरेन, लोकी हांसदा, बिरजू टुडे, सफेदी हांसदा, फुल मनी मरांडी, सुनीता मुर्मू, लीला मुनि, सनी टुडू को महिला थाना लाया गया। उनके साथ तीर-धनुष, नगाड़ा और तलवार साथ में लाया गया है। विस्थापितों की आवाज
सीता हांसदा का कहना है 1971 में इंडियन ऑयल द्वारा जमीन अधिग्रहण किया गया था। जिसमें गांव वालों को बहला फुसलाकर नौकरी का प्रलोभन देकर वहां पर कंपनी खोली गई थी उसके बाद आज फिर अतिरिक्त जमीन लिया जा रहा है जिसको लेकर बदलाडीह गांव की महिलाएं एकत्र होकर विरोध कर रही थी। कहा कि हम लोगों के नाम से आज भी लगान रसीद कट रहा है 2017 तक का प्रमाण है फिर भी हम लोग किसी भी अधिकारी के पास जाते हैं तो हमलोगों को डांट डपट कर भगा दिया जाता है। मजबूरन विरोध करना पर रहा है। विरोध करने आए तो पकड़कर थाना लाया गया है। सभी बेरोजगारों को नौकरी देने का वायदा किया था मगर मात्र 7 को नौकरी दी गई। उसके बाद से नौकरी देना बंद कर दिया गया है। सीता ने कहा कि कई बार पैसे का प्रलोभन दिया गया। लेकिन जमीन देने की कीमत पर वे लोग अडिग हैं। हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे। -------------------------------
आईओसी टर्मिनल को 1982 में जमीन मिला हुआ है। 2012 में एसपियाडा ने 34.07 एकड़ जमीन ग्रीन एरिया डेवलपमेंट के लिए आवंटित किया है। इस जमीन के लिए सभी विस्थापितों को मुआवजा दे दिया गया है। इसका सारा रिकार्ड है। जो जमीन अधिग्रहित है उसी से आवंटित की गयी है। बावजूद किसी भी ग्रामीण को यह लगता है कि उसकी जमीन का मुआवजा नहीं मिला है तो वह एसपियाडा के विरूद्ध सक्षम कोर्ट में साक्ष्य के साथ दावा कर सकता है। प्रशासन उसे मानने को बाध्य होगा। विधि व्यवस्था को किसी सूरत में भंग नहीं होने दिया जाएगा।
जयवर्द्धन कुमार, अंचलाधिकारी देवघर।