.. और शहर में कोरोना से मर गई मानवता
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बीस घंटे तक पड़ा रहा शव, भयभीत परिजन भी रहे दूर, कोरोना वारियर्स ने कराया अंतिम संस्कार जागरण संवाददाता, चतरा: बात जिला मुख्यालय की है। यहां सर- ए- शहर कोरोना से मानवता की मौत हो गई। हर कोई मानवीय संवेदना को झकझोर देने वाली घटना का गवाह बना। मगर उनकी पहल महज तमाशबीन भर की रही। हुआ यूं कि यहां का एक बहुचर्चित व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो गया। लोग उसे मंदबुद्धि समझ कर मंगर (काल्पनिक नाम) से पुकारते थे। मंगर के परिजन तो हैं, मगर उसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था। वह छोटा-मोटा चलंत रोजगार कर जीवन की गाड़ी खींच रहा था। लाजिमी तौर पर जब बीमार पड़ा तो किसी ने भी उसकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। घर में पड़े-पड़े तड़प-तड़प कर उसने दम तोड़ दिया। जब जिदगी में ही कोई उसका न हुआ तो भला मरने के बाद क्या होता? बीस घंटे तक उसका शव घर में पड़ा रहा। घर बीच बाजार में है। लिहाजा बाजार की गतिविधियां जारी रहीं। यहां तक घर से सटी एक दुकान में कोरोना गाइडलाइन का सरेआम उल्लंघन कर वस्त्र की बिक्री की जाती रही। परिजन भी उसके अंतिम संस्कार की चिता तो दूर संक्रमण के डर से लाश के निकट जाने से भी कतराते रहे। मौत की भनक जैसे ही सदर अनुमंडल पदाधिकारी मुमताज अंसारी को मिली, उसके बाद से ही वह उनका अंतिम संस्कार की कोशिशों में जुट गए। उन्हें ऐसा लगा कि स्वजन उनका अंतिम संस्कार कर देंगे। उसी के अनुकूल उन्होंने व्यवस्था तक उपलब्ध करा दी। जब सुबह उन्हें मालूल हुआ कि शव ऐसे ही घर में पड़ा, तो वह स्वयं मौके पर आए और समाजसेवी गोविद राम के सहयोग से उन्होंने सफाई वारियर्स को तैयार किया। फिर कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए शव को एक गाड़ी में रखकर श्मशान ले जाया गया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। जब प्रशासनिक अमला अंतिम संस्कार की तैयारी के लिए पहुंचा तो एक दुकानदार मानवता और कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए वस्त्र बिक्री में व्यस्त था। प्रशासन ने तत्काल उसका सील कर दिया।