कबाड़ में तब्दील हुआ मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण केंद्र
संवाद सहयोगी इटखोरी प्रशासनिक उदासीनता का शिकार होने के बाद कोई संस्थान किस तरह कब
संवाद सहयोगी, इटखोरी: प्रशासनिक उदासीनता का शिकार होने के बाद कोई संस्थान किस तरह कबाड़ खाने में तब्दील हो जाता है, इसका जीता जागता उदाहरण है यहां का प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र। एक वक्त प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र मशरूम उत्पादन तथा सिलाई कढ़ाई के प्रशिक्षण का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था। लेकिन आज बेकार हुई चीजों के रखने का गोदाम बन गया है। प्रखंड कार्यालय के समीप निर्मित प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र का निर्माण चतरा के तत्कालीन उपायुक्त रामवृक्ष महतो की पहल पर 21 वर्ष पहले पांच लाख रुपए की लागत से किया गया था। इस महत्वपूर्ण केंद्र के भवन का निर्माण पूरा होने के बाद इसमें मशरूम उत्पादन तथा सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाने लगा। प्रखंड के सैकड़ों बेरोजगार युवक व युवती यहां से मशरूम उत्पादन तथा सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद स्वरोजगार से जुड़े। जब तक रामवृक्ष महतो चतरा के उपायुक्त के पद पर आसीन रहे तब तक यह प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र सही तरीके से संचालित होता रहा। लेकिन उनके स्थानांतरण के पश्चात इसमें प्रशिक्षण का सभी काम बंद हो गया। फिर कई वर्षों तक इस केंद्र के भवन का इस्तेमाल साक्षरता अभियान के कार्यालय के रूप में किया गया। आज स्थिति यह है कि प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र का भवन पूरी तरह कबाड़ खाना बन गया है। उचित रखरखाव के अभाव में केंद्र का भवन भी धीरे धीरे जर्जर होता जा रहा है। फिर भी इस महत्वपूर्ण केंद्र के भवन की फिक्र किसी को भी नहीं है। जबकि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इस केंद्र के भवन का इस्तेमाल बेरोजगार युवक व युवतियों को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है।