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Lok Sabha Polls 2019: हाथ कटने के बाद भी लोकतंत्र के प्रति नहीं कम हुआ जज्‍बा

Lok Sabha Polls 2019. लोकतंत्र के प्रति आस्था की प्रतिमूर्ति हैं जसमुद्दीन अंसारी। उग्रवादियों ने उनका हाथ सिर्फ इसलिए काट दिया था क्योंकि उन्होंने वोट दिया था।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 05:12 PM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 05:12 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: हाथ कटने के बाद भी लोकतंत्र के प्रति नहीं कम हुआ जज्‍बा
Lok Sabha Polls 2019: हाथ कटने के बाद भी लोकतंत्र के प्रति नहीं कम हुआ जज्‍बा

चतरा, [जुलकर नैन]। लोकतंत्र के प्रति आस्था की प्रतिमूर्ति हैं जसमुद्दीन अंसारी। मतदाताओं के लिए उन्हें रोल मॉडल भी कह सकते हैं। उग्रवादियों ने उनका हाथ सिर्फ इसलिए काट दिया था, क्योंकि उन्होंने वोट दिया था।

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लेकिन इसके बाद भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। मतदान के प्रति वह और भी निडर हो गए। उग्रवादियों ने जसमुद्दीन के साथ महादेव यादव का अंगूठा काट दिया था।

घटना के करीब चार वर्षों बाद अस्वस्थता के कारण महादेव की मौत हो गई। जसमुद्दीन अंसारी जीवित हैं और लोकतंत्र के प्रति न सिर्फ सजग हैं, बल्कि दूसरों को भी जागरुक कर रहे हैं। जसमुद्दीन अंसारी ग्राम कामता और महादेव यादव ग्राम गाड़ीलौंग टंडवा प्रखंड के रहने वाले हैं। घटना आज से ठीक 20 वर्ष पूर्व की है। 1999 में लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ था।

उस वक्त भाकपा माओवादी उग्रवादियों का वर्चस्व चरम पर था। उग्रवादियों ने वोट वहिष्कार का नारा दिया था। टंडवा प्रखंड हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के अधीन था। जसमुद्दीन और महादेव राजद उम्मीदवार अकलु राम महतो के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे। उग्रवादियों के फरमान की परवाह नहीं करते हुए जसमुद्दीन और महादेव निर्भीकता पूर्वक मतदान सुनिश्चित कराने के अभियान में जुटे थे।

इससे इस इलाके में उग्रवादियों के वोट बहिष्कार का नारा लगभग फुस्स हो गया था। लिहाजा उग्रवादी बौखला उठे। नक्सलियों ने दोनों को उनके घरों से उठा लिया था। फिर जसीमुद्दीन का हाथ और महादेव का अंगूठा काट डाला था। एकीकृत बिहार में घटित इस घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक योगेंद्र नाथ बैठा ने बिहार विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था।

सदन ने न्याय का भरोसा दिलाते हुए दोनों को नौकरी देने का वादा किया था। इसी बीच झारखंड अलग हो गया और यह मामला खटाई में पड़ गया। इधर मामले के सभी नामजद अभियुक्तों को पुलिस ने एक-एक कर गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय में दोष प्रमाणित नहीं हो सका और सभी बरी हो गए।

जसमुद्दीन कहते हैं कि वोट देने से उन्हें कोई वंचित नहीं कर सकता है। इस घटना के बाद उन्होंने तीन बार लोकसभा, चार बार विधानसभा और दो बार पंचायत चुनाव के लिए मतदान किया है। कहते हैं, जब तक जीवित हूं, लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी भूमिका निभाता रहूंगा।


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