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सखुआ वृक्षों से झर रहा सरई, ग्रामीण कर रहे आर्थिक उपार्जन

लक्ष्मण दांगी गिद्धौर (चतरा) जंगली क्षेत्रो में सखुआ के वृक्षों में बहार आई हुई है। वृक्ष सर

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 08:30 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 08:30 PM (IST)
सखुआ वृक्षों से झर रहा सरई, ग्रामीण कर रहे आर्थिक उपार्जन
सखुआ वृक्षों से झर रहा सरई, ग्रामीण कर रहे आर्थिक उपार्जन

लक्ष्मण दांगी, गिद्धौर, (चतरा) : जंगली क्षेत्रो में सखुआ के वृक्षों में बहार आई हुई है। वृक्ष सरई फल से लदे हैं और निरंतर झर रहे हैं। स्थानीय बाजार में सरई फल 30 से 40 रुपए किलो बिक रहा है। वन्य क्षेत्र में बसे ग्रामीण सारा दिन उनके वृक्षों के नीचे जमे हैं। ग्रामीण बड़े जतन से सरई को चुनकर इकट्ठा कर रहे हैं। सरई को धूप में सुखाया जाएगा, फिर तोड़कर उसके बीज निकाले जाएंगे तब उसे बाजार ले जाया जाएगा जहां व्यापारी हाथों हाथ उसकी खरीदारी करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में सखुआ के फल को सरई कहते है। पतझड़ के बाद जब इसके वृक्षों में नए पत्ते आते हैं तब उसके साथ सुंदर श्वेत फूल भी आते हैं। जून-जुलाई के महीनों में यह वृक्ष फलों से लद जाता है और झरने लगता है। चतरा जिले में सखुआ के बहुतायत मात्रा में वृक्ष हैं जो बड़े पैमाने में सरई का उत्पादन करते हैं।

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::::::::::::::::::: बहू उपयोगी है सखुआ का वृक्ष सखुआ का वृक्ष बहु उपयोगी है। इसकी लकड़ियां कठोर और मजबूत होती है जिससे दरवाजे खिड़की और अन्य फर्नीचर का निर्माण होता है। इसके पत्तों से पत्ता प्लेट और कोमल डंठल से दातुन का उपयोग किया जाता है। इसके अलावे इसके फल सरई का उपयोग खाद्य तेलों और कॉस्मेटिक सामग्री के निर्माण में किया जाता है। ::::::::::::::: आर्थिक उपार्जन का स्त्रोत है सरई वन क्षेत्र में बसे ग्रामीणों के लिए सरई आर्थिक उपार्जन का स्त्रोत है। ग्रामीण इसे बेचकर अच्छी कमाई करते हैं और अपना जीविकोपार्जन चलाते हैं।तिलैया के गौतम दांगी व आशा देवी ने बताया कि जंगल ग्रामीणों के लिए वरदान है। इसके फल फूल जड़ी बूटी को बेचकर बनवासी आत्मनिर्भर हैं। महुआ, करंज, सरई और जंगली फल फूल को बेचकर लोग सालों भर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं।

::::::::::::::::::::::: अधिकारी वर्जन वनों में अकूत वन्य संपदा हैं। यहां के वन बेशकीमती फल-फूल और जड़ी-बूटियों से भरे पड़े हैं, जो ग्रामीणों के आर्थिक उपार्जन का बड़ा स्त्रोत है। ग्रामीण वनों को बगैर हानि पहुंचाए इनका लाभ उठाएं और समृद्ध बनें। प्रभात कुमार, वन क्षेत्र पदाधिकारी, गिद्धौर।


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