वोट देने में गया हाथ, अब कोई नहीं दे रहा साथ
जुलकर नैन, चतरा : यह कहानी लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी निभाने वाले जसमुद्दीन अंस
जुलकर नैन, चतरा :
यह कहानी लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी निभाने वाले जसमुद्दीन अंसारी की है, जिसे चरमपंथी उग्रवादियों ने 19 वर्ष पहले वोट डालने के अपराध में हाथ काट कर अपाहिज बना दिया था। उसके बाद से अबतक लगभग 20 साल से जिले के टंडवा थाना क्षेत्र के कमता गांव का रहने वाला जसमुद्दीन न्याय के लिए भटक रहा है।
जसमुद्दीन वैसी परिस्थिति में वोट देने के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ा हुआ था, जब लोग मतदान केंद्र तक पहुंचने का भी साहस नहीं जुटा पाते थे। उसने लोकतंत्र के महापर्व में भागीदार बनकर उग्रवादियों के आतंक को चुनौती दी थी। इसकी सजा भाकपा माओवादियों ने उसके दाहिने हाथ को काट कर दी। जसमुद्दीन के साथ वारदात के शिकार इसी प्रखंड के गाड़ीलौंग गांव निवासी महादेव यादव भी हुआ था। उग्रवादियों ने महादेव का दाहिना हाथ का अंगूठा काट दिया था। घटना के करीब चार वर्षों के बाद महादेव की मौत हो गई थी लेकिन जसमुद्दीन जीवित है और उसे उम्मीद है कि इंसाफ मिलेगा। इंसाफ कब मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है।
घटना वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव के वक्त की है। उस समय टंडवा प्रखंड हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के अधीन था। जसमुद्दीन और महादेव राजद उम्मीदवार अकलु राम महतो के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे। तब भाकपा माओवादियों का वर्चस्व चरम पर था और उग्रवादियों ने वोट बहिष्कार का नारा दिया था। उग्रवादियों के फरमान के बाद भी जसमुद्दीन और महादेव ने निडरता के साथ वोट देने और दिलाने का काम किया था। इसी कारण नक्सलियों ने दोनों को उनके घरों से उठाया और एक का हाथ तथा दूसरे का अंगूठा काट दिया। एकीकृत बिहार में घटित इस घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक योगेंद्र नाथ बैठा ने बिहार विधानसभा में इसे उठाया था। सदन ने न्याय का भरोसा देते हुए दोनों को नौकरी देने का वायदा किया था। इसी बीच झारखंड अलग हो गया और यह मामला खटाई में पड़ गया। इधर मामले के सभी नामजद अभियुक्तों को पुलिस ने एक-एक कर गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय में दोष प्रमाणित नहीं हो सका और सब के सब बाइज्जत बरी हो गए।