Lok Sabha Polls 2019: सुभाष यादव से खटास और हाईकमान के रवैये से जनार्दन ने राजद से तोड़ा नाता
Lok Sabha Polls 2019. राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव एवं चतरा के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान ने अपने अंधकारमय भविष्य को देखकर संगठन को बाय-बाय कर दिया।
चतरा, [जुलकर नैन]। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव एवं चतरा के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान ने अपने अंधकारमय भविष्य को देखकर संगठन को बाय-बाय कर दिया। लालटेन छोड़कर अब वे भगवा रंग में रंग गए हैं। सोमवार को दिल्ली में उन्होंने प्रदेश राजद अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। चतरा की राजनीति में जनार्दन पासवान पिछले ढाई दशक से सक्रिय भूमिका में रहे हैं।
उन्होंने बिहार विधानसभा और झारखंड विधानसभा में चतरा का नेतृत्व किया है। कुल मिलाकर राजद की ओर से वे यहां से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं। हालांकि जीत दो ही में मिली है। एकीकृत बिहार में वे पहली बार वर्ष 1995 में विधानसभा उम्मीदवार बने थे। बिहार विधानसभा चुनाव के क्रम में ही माओवादी उग्रवादियों ने माकपा उम्मीदवार संतु दास की हत्या कर दी थी।
इसके कारण चतरा विधानसभा का चुनाव स्थगित हो गया था। लेकिन कुछ महीनों बाद जब उपचुनाव हुआ, तो राजद उम्मीदवार की हैसियत से जनार्दन पासवान विजयी हुए थे। लेकिन 2000 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता के हाथों मात खा गए थे। इसके बाद वर्ष 2005 के चुनाव में उन्होंने फिर राजद के टिकट से भाग्य आजमाया। लेकिन इस बार भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी।
2009 के चुनाव में वे भाजपा उम्मीदवार को रिकॉर्ड मतों के अंतर से पराजित कर झारखंड विधानसभा में पहुंचे। लेकिन 2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार से मात खा गए। 2009 का चुनाव जितने वोट से जीते थे, 2014 में उससे अधिक वोट से हारते हुए तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके बावजूद वे क्षेत्र और संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। करीब दो वर्ष जब राजद का संगठन विस्तार हुआ, तो उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया।
इसी बीच चतरा की राजनीति में पटना के पुनपुन निवासी और बालू व्यवसायी सुभाष प्रसाद यादव का आगमन हुआ। सुभाष प्रसाद यादव ने चतरा संसदीय क्षेत्र से स्वयं को राजद का उम्मीदवार घोषित करते हुए जनसंपर्क अभियान चलाना शुरू कर दिया। संगठन के नेताओं की उपेक्षा करते हुए वे अपने अभियान में जुटे रहे।
इतना ही नहीं, सुभाष प्रसाद दबाव की राजनीति करते हुए जनार्दन पासवान एवं अन्य स्थानीय नेताओं पर एकक्षत्र राज स्थापित करने के प्रयास में जुटे रहे। जनार्दन पासवान एवं पार्टी के कई वरीय नेताओं ने इसकी शिकायत हाईकमान से की। लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
यहीं से जनार्दन पासवान और सुभाष यादव के बीच खटास बढऩे लगा। इसी बीच यूपीए के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत प्रारंभ हुई। लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग फार्मूला तैयार किया गया। गठबंधन में चतरा विधानसभा की सीट झाविमो के खाते में जाने की संभावना को लेकर जनार्दन पासवान ने भाजपा की ओर जाने का मन बनाया। इसके बाद सोमवार को उन्होंने विधिवत रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।