बकुलिया नदी में बाढ़, चतरा के दो दर्जन गांव बने टापू
ऊपरी इलाकों में भारी बारिश से चतरा की बकुलिया नदी में बाढ़, 12 गांव टापू बने। शौच को नदी पार गए लोग दिनभर फंसे रहे
पत्थलगडा (चतरा) : रविवार की रात सिमरिया व टंडवा के ऊपरी क्षेत्रों में हुई जोरदार बारिश के बाद पत्थलगडा की बकुलिया नदी में बाढ़ आ गई। सोमवार को नदी दिन भर उफनती रहीं। इस वर्ष की अब तक की यह सबसे आक्रामक बाढ़ में कई लोग फंस गए। पत्थलगडा और सिमरिया प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांव टापू बन गए। नदी में बाढ़ के कारण उस पार के गावों में रोजमर्रा की ¨जदगी ठप रही।
दैनिक मजदूर घर में बैठे रहे। मजदूरी करने नहीं निकल सके। सैकड़ों बच्चे विद्यालय नहीं पहुंचे। नदी के उस पार के अधिकांश विद्यालय भी बंद रहे। नदी में बाढ़ के कारण बच्चे व शिक्षक आधे रास्ते से घर लौट गए। बरवाडीह, बेलहर, ¨सघानी, नोनगांव, तेतरिया, चौथा, दुम्बी आदि गांवों के जानवर चरने के लिए जंगल नहीं गए।
जानवर भी दिन भर खूंटों में ही बंधे रहे। पत्थलगडा प्रखंड के शीतलपुर, कोराम्बे, मेरमगड़ा, सिरकोल, जगरनाथी, सिमरिया के तपसा, उरुब, बारा, सिलहटी, हुड़मुड़, हांडे, गेड़वा, टेटूवातरी, समेत दो दर्जन गांव दिन भर टापू में तब्दील रहे। नदी में बाढ़ होने के कारण इन गांव में रोजमर्रा की आवश्यक सेवाएं भी नहीं पहुंची। लोग दिन भर घरों में बैठे रहे। नदियों पर पुल नहीं होने के कारण लोगों को बरसात के दिनों में भारी फजीहत उठानी पड़ती है।
गये थे शौच करने, बाढ़ आई और फंस गए : प्रखंड के बोगासाड़म, बरवाडीह, ¨सघानी, नोनगांव, तेतरिया, लेम्बोईया, दुम्बी, चौथा, बेलहर आदि गांवों के सैकड़ों लोग भोर मे नदी के उस पार मॉर्निंग वॉक और शौच के लिए जाते हैं। सोमवार को भी गए थे। वापस लौट रहे थे तो नदी में पानी बढ़ गया और वे फंस गए। भूखे प्यासे दोपहर बाद तक नदी के उस पार बैठे-बैठे नदी में पानी घटने का इंतजार करते रहे।
बाल-बाल बचा युवक : सोमवार को सुबह बकुलिया नदी में आई बाढ़ में शीतलपुर के राजू राम भुईयां बहते-बहते बच गया। राजू सुबह बकुलिया नदी पार कर सुभाष चौक पत्थलगडा आ रहा था। नदी में अचानक पानी का बहाव तेज हो गया। वह बहने लगा। करीब 200 फीट तक नदी की धार में बह गया। अचानक रास्ते में एक चट्टान मिला जिस पर चढ़कर उसने जान बचाई।