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गांव में बिजली पहुंची 2014 में, बिल आ रहा वर्ष 2005 से

जिले के गिद्धौर प्रखंड के दुआरी गांव के ग्रामीण अधिकारियों क

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 06:46 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 06:46 PM (IST)
गांव में बिजली पहुंची 2014 में, बिल आ रहा वर्ष 2005 से
गांव में बिजली पहुंची 2014 में, बिल आ रहा वर्ष 2005 से

जुलकर नैन/लक्ष्मण दांगी, चतरा : जिले के गिद्धौर प्रखंड के दुआरी गांव के ग्रामीण अधिकारियों के अजब-गजब कारनामे से परेशान हैं। वर्ष 2014 में इस गांव में बिजली पहुंची है, लेकिन 2005 से यहां के उपभोक्ताओं को बिजली बिल भेजा जा रहा है। गांव वालों पर करीब एक करोड़ रुपये का बिल बकाया हो गया है। ग्रामीणों ने 2005 में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था। उस वक्त गांव में बिजली नहीं थी। विद्युत आपूर्ति प्रमंडल के स्थानीय अधिकारियों ने प्रलोभन दिया था कि कनेक्शन के लिए आवेदन देने पर गांव में बिजली आपूर्ति व्यवस्था बहाल हो जाएगी। गांव वालों ने आवेदन तो कर दिया, लेकिन बिजली आई 2014 में। परंतु बिजली का बिल आवेदन करने के साथ ही शुरू हो गया। गांव में करीब ढाई सौ बिजली उपभोक्ता हैं। प्रत्येक उपभोक्ता पर 55 से 60 हजार रुपये का बिल बकाया हो गया है। उपभोक्ताओं का कहना है कि गांव में 2014 में बिजली आई है और बिल 2005 से जोड़ा जा रहा है। जब बिजली जलाए ही नहीं, तो बिल किस बात की जमा करें। गांव वालों से बकाए की वसूली को लेकर बिजली अधिकारी लगातार दबाव बना रहे हैं। गांव वाले इस मामले को विभिन्न बैठकों और मंचों पर उठा चुके हैं। लेकिन अब तक इसका हल नहीं निकल पाया है। सोमवार को इस मामले को लेकर ग्रामीणों और विद्युत आपूर्ति प्रमंडल के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। ग्रामीणों का कहना है कि 2005 से 2013 तक का बिजली बिल माफ किया जाए। उसके बाद भी बिल का भुगतान होगा। बैठक में बात नहीं बनी। बिजली आपूर्ति प्रमंडल के अधिकारियों ने 15 दिनों का समय लिया है। गांव वालों के साथ 15 दिसंबर को दूसरी बैठक होगी। कोट---

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मामले के समाधान को लेकर जल्द ही एक कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी पूरे मामले की जांच करेगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद उस पर अग्रेतर कार्रवाई होगी।

चंद्रमोहन शर्मा, कार्यपालक अभियंता, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, चतरा।


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