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समन्वय और पारदर्शी तंत्र से आएगी खुशहाली

जागरण संवाददाता चतरा सीसीएल की आम्रपाली और मगध कोल परियोजना की स्थापना से टंडवा में विक

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 07:49 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 06:09 AM (IST)
समन्वय और पारदर्शी तंत्र से आएगी खुशहाली
समन्वय और पारदर्शी तंत्र से आएगी खुशहाली

जागरण संवाददाता, चतरा : सीसीएल की आम्रपाली और मगध कोल परियोजना की स्थापना से टंडवा में विकास के द्वार खुले हैं। क्षेत्र में खुशहाली आई है। लेकिन स्थानीयता को अब तक प्राथमिकता नहीं मिली है। दोनों परियोजनाओं में खनन से लेकर ट्रांसपोर्टिग तक के कार्य में बाहरी लोगों का वर्चस्व है। आम्रपाली और मगध देश का पहला कोल परियोजना है, जो प्रारंभिक दौर में बगैर नौकरी और मुआवजा के अरबों की कमाई कर रही है। टंडवा प्रखंड में कोयले की अकूत भंडार है। आने वाला चार से पांच दशक तक यहां पर कोयले का खनन निर्बाध रूप से हो सकता है। लेकिन इसके लिए सीसीएल को भू-रैयतों और स्थानीय ग्रामीणों के बीच सामंजस्य स्थापित करना होगा। प्रोजेक्ट से उत्पन्न रोजगार में स्थानीय लोगों को समायोजित करने व समन्वय का पारदर्शी तंत्र खड़ा कर निर्बाध रूप से कोयला खनन और परिवहन संभव हो सकेगा। गत वर्ष अक्टूबर में सीसीएल के अधिकारियों ने कुमरांग कला में रैयती जमीन पर कब्जा जमाते हुए कोयला खनन के लिए ओबी हटाने का कार्य शुरू कर दिया था। ओवर बडन हटाने का काम दिन के बजाय रात में हो रहा था। सीसीएल प्रबंधन पर इस प्रकार की कई शिकायतें हैं। यही कारण है कि रैयतों के साथ सीसीएल का छत्तीस का संबंध रहता है। सीसीएल प्रबंधन का थोड़ा प्रयास से यहां पर हजारों प्रवासियों की जिदगी सवर सकती है। इसके लिए जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को पहल करन होगा।

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क्या कहते हैं प्रवासी मजदूर यदि स्थानीय स्तर पर रोजगार की सुविधा मुहैया हो जाए, तो बाहर क्यों जाएंगे। मगध और आम्रपाली कोल परियोजना को खुलने से उम्मीद जगी थी। लेकिन काम नहीं मिला। विवश होकर पलायन कर दूसरे शहर को गए। लॉकडाउन में जैसी त्रास्दी देखी है, उसके बाद बाहर जाने का हिम्मत अब नहीं है। प्रयास करूंगा कि यहीं पर कुछ काम मिल जाए, तो मेहनत मजदूरी कर बसर कर लूंगा।

जोगश्वर राम, रक्सी, टंडवा।

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अब बाहर जाने की हिम्मत नहीं है। घर पर ही रोजगार की तलाश करेंगे। सीसीएल में बहुत सारी संभावनाएं है। यदि इन संभावनाओं में फीट बैठा तो ठीक है, नहीं तो दूसरा काम करूगा, लेकिन बाहर नहीं जाऊंगा। बाहर जाने के लिए अब अनुकूल वातावरण नहीं रहा। लॉकडाउन में डेढ़ महीना तक त्रास्दी झेला हूं। कम पैसा कमांगे, पर घर पर सुरक्षित रहेंगे।

सरोज भुईयां, रक्सी, टंडवा।

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आम्रपाली और मगध कोल परियोजना में लोडिग व्यवस्था पेलोडर के बजाय मजदूर से होगा, तो रोजगार की कोई समस्या नहीं होगी। क्षेत्र के हजारों मजदूरों को इससे रोजगार मिल जाएगा। सीसीएल प्रबंधन को इस पर ध्यान देना चाहिए। चूंकि अब बहुत कुछ बदल गया है। ऐसे में सीसीएल को भी अपनी नीति और रीति में बदलाव लाना होगा।

केदार राम, रक्सी, टंडवा।

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समय के साथ जीना होगा। नोवेल कोरोना ने करोड़ों को बेरोजगार कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में वापस आए मजदूरों में अधिकांश अब दुबारा बाहर नहीं जाएंगे। ऐसे में गांव स्तर पर ही रोजगार का सृजन करना होगा। सीसीएल से बहुत उम्मीद नहीं कर सकते हैं। सीसीएल में दूसरे जनों का दबदबा है। ऐसे में मनरेगा एवं दूसरी योजनाओं से काम की उम्मीद करते हैं।

बब्लू पासवान, रक्सी, टंडवा।

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घर पर रहकर हालात को अनुकूल बनाएंगे। यदि यहां पर काम नहीं मिला, तो मजबूरी में फिर बाहर जाएंगे। भूख की आग को बुझाने के लिए कुछ तो करना ही होगा। वर्तमान समय में हालात अच्छे नहीं है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हमेशा ऐसा ही रहेगा। परिवर्तन नियति है। बदलाव होगा। इसलिए हालात से घबराना नहीं चाहिए।

सुमन पासवान, रक्सी, टंडवा।


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