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देवोत्थान आज, जागेंगे नारायण, समाप्त होगा चातुर्मास

थ ही चार माह का चतुर्मास समाप्त हो जाएगा। चतुर्मास समाप्त के साथ ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्य एक बार फिर शुरू हो जाएंगे। हालांकि शुक्र के अस्त होने के कारण शुभ विवाह का लगन इस बार 12 दिन बाद शुरू होंगे। विवाह का पहला लग्न 19 नवंबर को है। लग्न प्रारंभ होते ही शादी की शहनाई गूंजने लगेंगी। मुंडन गृह प्रवेश अन्य मांगलिक कार्य भी जोर पकड़ने लगेंगे। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास स

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 07:28 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 07:28 PM (IST)
देवोत्थान आज, जागेंगे नारायण, समाप्त होगा चातुर्मास
देवोत्थान आज, जागेंगे नारायण, समाप्त होगा चातुर्मास

चेतन पांडेय, पत्थलगडा : देव जागरण का महापर्व देवोत्थान शुक्रवार को मनाया जाएगा। गुरूवार को व्रत का नहाय-खाय और संयत किया गया। देवोत्थान एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी और देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। पुरे चार माह शयन के बाद भगवान नारायण देवोत्थान के दिन निद्रा से जागते हैं। उनके जागरण के साथ ही 4 माह से बंद शुभ और मांगलिक कार्य एक बार फिर शुरू हो जाते हैं। भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए शयन में चले जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इस बार देवोत्थान शुक्रवार को मनाया जाएगा। देवोत्थान के साथ ही चार माह का चतुर्मास समाप्त हो जाएगा। चतुर्मास समाप्त के साथ ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्य एक बार फिर शुरू हो जाएंगे। हालांकि शुक्र के अस्त होने के कारण शुभ विवाह का लगन इस बार 12 दिन बाद शुरू होंगे। विवाह का पहला लग्न 19 नवंबर को है। लग्न प्रारंभ होते ही शादी की शहनाई गूंजने लगेंगी। मुंडन, गृह प्रवेश अन्य मांगलिक कार्य भी जोर पकड़ने लगेंगे। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास समाप्त होता है। देवोत्थान के दिन हिदू घरों में भगवान नारायण और तुलसी माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। तुलसी चौरा (तुलसी पींडा) के पास ईख से भव्य मंडप बनाए जाते हैं। आंगन में आकर्षक चौका (रंगोली) बनाए जाते हैं और पूरे घर आंगन को सजाया जाता है। इस दिन चावल के आटे और सिदूर से पूरे घर को जगाने की प्राचीन परंपरा भी रही है। कई जगहों पर इसे देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। आस्था है कि इस दिन घर में तुलसी विवाह का पूजन करने और घर आंगन को जगाने से पूरे एक वर्ष तक घर परिवार में देवता जगे रहते हैं और उनकी कृपा बरसती रहती है। सुहागिन महिलाएं दिनभर उपवास रहकर संध्या बेला में भगवान नारायण की पूजा अर्चना करते हैं और देवोत्थान एकादशी व्रत की कथा का श्रवण करती हैं। उसके बाद शंख ध्वनि, व विभिन्न वाद्ययंत्र की मधुर ध्वनि गुंजायमान कर भगवान नारायण को जगाती हैं।

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