11वें दिन भी कोयला खनन बंद, कंपनी बांधने लगी बोरिया-बिस्तर
आउटसोर्सिंग कंपनी वीपीआर ने हटाया छह मशीन व 16 हाइवा सीसीएल की मगध कोल परियोजना 11वें दिन भी रहा बंद अधिकारियों के वादा खिलाफी को लेकर भू-रैयत हैं गोलबंद
वीरेंद्र साहू, टंडवा : सीसीएल की मगध कोल परियोजना में खनन कार्य लगातार 11वें दिन भी ठप रहा। भू-रैयत अब भी मुआवजे और नौकरी की मांग पर अड़े हुए हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक भूमि का मुआवजा व नौकरी नहीं मिलेगी, तब तक ओबी के लिए एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। इधर जारी गतिरोध को देखते हुए ओवर बर्डन हटाने वाली आउटसोर्सिग कंपनी वीपीआर अपना बोरिया-बिस्तर समेटने लगी है। कंपनी ने रविवार को छह मशीन और 16 हाइवा को कोयले की खदानों से हटाते हुए दूसरे स्थान पर भेज दिया। कंपनी का कहना है कि कार्य नहीं होने से उसे रोज 50 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। काम बंदी के बाद से अब तक कंपनी को पांच करोड़ का नुकसान हो चुका है। इधर रैयतों का कहना है कि सीसीएल अधिकारियों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। पूर्व में भी जमीन को लेकर खनन कार्य कई बार प्रभावित हुआ लेकिन हर बार सीसीएल अधिकारी झूठा आश्वासन देकर जमीन ले लेते थे फिर अपना वायदा भूल जाते थे, लेकिन इस बार लड़ाई आरपार की है। प्रोजेक्ट का ओबी रखने के लिए सीसीएल के पास जमीन नहीं है। सीसीएल की नजर देवलगडा की जमीन पर है, लेकिन रैयत पहले नौकरी व मुआवजे मांग रहे हैं। एशिया विख्यात मगध कोल परियोजना से प्रति वर्ष सीसीएल को अरबों की कमाई हो रही है। लेकिन मुआवजा और नौकरी देने के नाम पर अधिकारी मुहं मोड़ रहे हैं।
गुरुदयाल साव, सचिव, रैयत विस्थापित मोर्चा
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ओवर बर्डन हटाने वाली कंपनी मनमानी कर रही है। सरकार को उसकी भूमिका की जांच करानी चाहिए।
बहादुर उरांव, झामुमो नेता
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भू-रैयतों से बातचीत की जा रही है। बहुत जल्द कुछ न कुछ समाधान निकल आएगा।
अवनीश कुमार, परियोजना पदाधिकारी
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कंपनी को प्रतिदिन 50 लाख रुपये का नुकसान हो रहा। अब तक पांच करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। अधिक नुकसान को बर्दास्त करना संभव नहीं है। यही कारण है कि मशीन और वाहनों को यहां से हटाया जा रहा है।
निवास रेड्डी, प्रबंधक, वीपीआर कंपनी