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नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का पर्व छठ शुरू

जागरण संवाददाता चतरा लोक आस्था का पर्व छठ का अनुष्ठान बुधवार को नहाय-खाय के साथ शुरू

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 06:35 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 06:35 PM (IST)
नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का पर्व छठ शुरू
नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का पर्व छठ शुरू

जागरण संवाददाता, चतरा : लोक आस्था का पर्व छठ का अनुष्ठान बुधवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। काफी संख्या में महिलाएं व पुरुष छठव्रती स्नान करने के लिए निकट के जलाशयों में गए। स्नान कर पूजा के लिए जल संग्रह किया। उसके बाद अपने-अपने घरों में श्रद्धा के साथ नहाय खाय का प्रसाद तैयार किया। भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ ही व्रतियों का निर्जला उपवास शुरू हो गया। गुरुवार को खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगे। उसके बाद फिर उपवास रहेंगे। इस प्रकार नहाय-खाय के साथ ही नेम निष्ठा के इस पर्व को लेकर पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। चारों ओर शुद्धता का ख्याल रखा जा रहा है। व्रतियों को किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। पूजन सामान की खरीदारी भी जोर पड़ ली है। लोग पूजन सामग्री की खरीदारी में व्यस्त हो गए हैं। बाजार में छठ सामग्री की दर्जनों अस्थायी दुकानें लगाई गई हैं। पूजन सामग्रियों के अलावे दाउरा, सूप, प्याली, नारियल आदि की दुकानें सजी है। बांस के बने सूप और दाउरों का छठ पूजा में अलग महत्व है। इन सूप के सहारे भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देने की प्रथा है। इस कारण से छठ व्रत करने वाले लोगों पूरी आस्था के साथ बांस के बने दउरा व सूप खरीदते हैं। गेहूं, अरवा चावल, रावा, गुड़ आदि की भी खूब बिक्री हो रही है। केसरी चौक से लेकर पुराना पेट्रोल पंप तक दो दर्जन से अधिक अस्थायी दुकानें लगाई गई है। कोविड को देखते हुए पहले राज्य सरकार ने घाटों व नदियों में अ‌र्घ्य अर्पित करने की अनुमति नहीं दी थी। जिसके कारण जिला प्रशासन घाटों की साफ-सफाई को लेकर शिथिल पड़ा हुआ था। लेकिन जैसे ही सरकार ने आदेश में संशोधन करते हुए घाटों पर अ‌र्घ्य अर्पित करने की अनुमति दी, जिला प्रशासन तैयारियों को जुट गया। बुधवार का दीभा स्थित छठ घाट का श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने निरीक्षण किया।

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छह घाटों पर भगवान भास्कर को दिया जाता है अ‌र्घ्य

घाटों की साफ-सफाई का कार्य करीब-करीब पूरा हो चुका है। अब इन घाटों को सजाने और सवारने का कार्य किए जा रहे हैं। लाइट-बत्ती से लेकर लाउडीस्पीकर एवं अन्य सारी व्यवस्था की जा रही है। शहर में वैसे तो कुल छह घाटों पर भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पित किया जाता है। लेकिन सर्वाधिक भीड़ दीभा स्थित छठ घाट पर उमड़ती है। छठ घाट पर स्थित सूर्य मंदिर से शहरवासियों का विशेष रूप से आस्था है। शहर की आधी से अधिक आबादी यहां पर अ‌र्घ्य अर्पित करने आती है। उसके बाद चौर मोहल्ला स्थित कठौतिया तालाब, जतराहीबाग स्थित न्यू कालोनी के पुरैनिया तालाब, विकास भवन के समीप हरलाल तालाब, चतरा-चौपारण पथ पर स्थित हेरूआ घाट और बाइपास रोड़ के समीप बाबा घाट पर भी अ‌र्घ्य अर्पित किया जाता है। दीभा मोहल्ला स्थित छठ तालाब एवं कठौतिया तालाब की सफाई का कार्य पूर्ण करा लिया गया है। छठ तालाब को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। कोविड-19 को देखते हुए सावधानियां भी बरती जा रही है। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा जगह-जगह पर हाथ धोने की व्यवस्था की जा रही है। कुछ स्थानों पर सेनेटाइजर की भी व्यवस्था की गई है।

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खरना आज, तैयारियों में लगे व्रती

नहाय-खाय के दूसरे दिन अर्थात गुरुवार को खरना का पर्व है। रखना को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। दूध के लिए वैसे तो पिछले चार पांच दिनों से अग्रिम बुकिग हो रही थी। लेकिन बुधवार को इस में और तेजी आई है। गाय और भैंस के अलावा डेयरी की दूध को लेकर बुकिग की जा रही है। विभिन्न कंपनियों की करीब दस हजार लीटर दूध का आडर दिया गया है। कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा मुफ्त में दूध वितरण की योजना बनाई गई है। दरअसल छठव्रती दिन भर उपवास रहेंगी और शाम को भगवान भास्कर के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। संध्या को प्रसाद का भोग लगाने के बाद स्वयं ग्रहण करते हैं। यह प्रसाद बनाने के लिए पूरी पवित्रता और शुद्धता का ख्याल रखा जाता है। दूसरे दिन अर्थात शुक्रवार को भगवान भास्कर के अस्ताचलगामी स्वरूप को अ‌र्घ्य अर्पित किया जाएगा। उसके दूसरे दिन अर्थात शनिवार को उदीयमान स्वरूप को अ‌र्घ्य अर्पित करने के बाद पारण के साथ महापर्व का समापन हो जाएगा।


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