सदर अस्पताल में डेढ माह से सिजेरियन डिलीवरी है बंद
सदर अस्पताल में डेढ माह से सिजेरियन डिलीवरी बंद परेशानी
सदर अस्पताल में डेढ माह से सिजेरियन डिलीवरी है बंद
संवाद सहयोगी, चतरा : सदर अस्पताल में बेहोशी करने वाले एनेस्थेटिस्ट व महिला डाक्टर के अभाव में गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन डिलीवरी नहीं हो पा रहा है। पिछले डेढ़ माह में एक भी सिजेरियन डिलीवरी नही हुआ। इस कारण प्रसूताओं को रेफर करना पड़ रहा है। पिछले डेढ माह में 32 प्रसूताओं को रेफर किया जा चुका है। अस्पताल में सिजेरियन बंद होने से प्रसूताओं को प्राइवेट अस्पतालों में मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। सदर अस्पताल में सर्जन के रूप में डॉ. मनीष लाल पदस्थापित है। जबकि न, तो एनेस्थेटिस्ट है और न ही महिला चिकित्सक। हालांकि डेढ माह पूर्व सदर अस्पताल में प्रतिदिन सिजेरियन डिलीवरी होते रहती थी। अप्रैल व मई माह में करीब 43 सिजेरियन हुए थे। अब चिकित्सक का कहना है कि बेहोशी करने वाले एनेस्थेटिस्ट के नही होने की वजह से सिजेरियन डिलीवरी नही हो रही है। यहां बता दें कि छह माह से सदर अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर नही है। उसके बावजूद महीने में सिजेरियन ऑपरेशन होते रहती थी। सदर अस्पताल में सिजेरियन डिलेवरी छोड़ हर्निया, बवासीर आदि के ऑपरेशन हो रहे है। ऐसे में एक बार फिर सदर अस्पताल पहुंचने वाली प्रसूताएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यही एक वजह रह रही है कि अस्पताल में जहां प्रतिदिन 10 से 12 नार्मल डिलीवरी के जगह अब तीन से चार ही रह गए है। सदर अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी बंद होने से सरकार का शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव कराने का दावा फेल हो रहा है। महिलाएं प्राइवेट अस्पताल जाने को मजबूर है। इधर प्रसव के दौरान अस्पताल आने वाली महिलाओं को थोड़ी सी भी दिक्कत होने पर सदर अस्पताल से उन्हें रेफर कर दिया जाता है। सदर अस्पताल से रेफर होने के बाद प्रसूता निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर हो जाती हैं। वर्तमान में निजी अस्पतालों के डॉक्टर व्यावसायिक हित को ध्यान में रखकर पैसे के लिए सिजेरियन डिलीवरी कराना अधिक पसंद कर रहे हैं। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. राजीव का कहना है कि महिला चिकित्सक व एनेस्थेटिस्ट की कमी की वजह से सिजेरियन डिलीवरी नही हो पा रही है।