जुम-अ-तुलविदा आज, घरों पर अदा करेंगे नमाज
जागरण संवाददाता चतरा रमजान का पवित्र महीना विदाई की ओर है। सात मई को जुम-अ-तुलविदा ह
जागरण संवाददाता, चतरा : रमजान का पवित्र महीना विदाई की ओर है। सात मई को जुम-अ-तुलविदा है। अर्थात रमजान का अंतिम जुमा। इस बार 24 रमजान को जुम-अ-तुलविदा हो रहा है। जबकि ईद 13 या 14 मई को होगी। यदि चांद 29 का हुआ, तो ईद 13 को और चांद 30 का हुआ, तो ईद 14 मई को होगी। वैसे ईद को लेकर इस बार भी लोगों में किसी प्रकार का उत्साह नहीं है। बल्कि यह कहें कि पिछले साल से भी इस बार ज्यादा निरस ल रहा है। गत वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान इतनी मौतें नहीं हुई थी। लाक डाउन को लोगों ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया था। यह दीगर बात है कि पुलिस और प्रशासन सख्त था। लेकिन इस बार परिस्थिति बदली हुई है। कोरोना से लगातार मौतें हो रही हैं। संक्रमितों की संख्या में भी भारी इजाफा हो रहा है। पुलिस व प्रशासन बहुत सख्त नहीं है। सरकार ने आंशिक लाकडाउन लगा रखा है। लेकिन लोगों सतर्क बहुत हैं। बाजार में चहल पहल नहीं है। रमाजान के दिनों में बाजार गुलजार रहता था। रात को दस से ग्यारह बजे तक दुकानें खुली रहती थी। मस्जिदों में नमाजियों की जबर्दस्त भीड़ होती थी। लेकिन इस बाद नजारा बिल्कुल बदला हुआ है। सीमित लोग ही मस्जिद आ रहे हैं। अधिकांश लोग अपने-अपने घरों में रह कर इबादत कर रहे हैं। हालात को देखते हुए यह कह सकते हैं कि पिछले वर्ष की तरह इस बार भी जुम-अ-तुलविदा की नमाज के लिए मस्जिदों में भीड़ नहीं होगी।
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तीसरा अशरा चल रहा
अलविदा का अर्थ होता है विदाई। दरअसल रमजान अब विदाई की ओर है। रमजान का पूरा महीना इबादत का होता है। यह पूरा महीना तीन अशरों में बंटा होता है। पहला दस दिन रहमत का, दूसरा दस दिन मगफिरत का और अंतिम दस दिन जहन्नम से छुटकारे का होता है। यही कारण है कि लोग पूरी कसरत से इबादत करते हैं।
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कोरोना ने खुशियों को किया फीका
लगातार यह दूसरी ईद है, जिसकी खुशियां फीकी होगी। पिछली बार भी ईद का उत्साह को कोरोना ने चबाया था और इस बार भी वैसे ही हालात हैं। बल्कि यूं कहें कि गत वर्ष से इस बार और बदतर हालात हैं। सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जिनके सदस्यों की जिदगी कोरोना ने लील लिया है। ऐसे में त्योहार की खुशी फीकी होना स्वाभाविक है।
बहरहाल अलविदा को लेकर लोग तैयारियों में जुटे हुए हैं। अलविदा की नमाज को लेकर शहर के प्राय: मस्जिदों में खूब भीड़ होती है। यही कारण है कि सुबह के दस बजे से ही रोजेदारों की भीड़ नजदीकी मस्जिदों में जुटने लगती है। वैसे सबसे अधिक भीड़ शहर के जाम-ए-मस्जिद में अलविदा की नमाज के लिए लोग जुटते हैं। यहां पर शहर के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ नजदीकी गांवों के लोग शामिल होते हैं। नमाजियों के तादाद को देखते हुए प्राय: सभी मस्जिदों में विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। मस्जिद कमेटियां वजु से लेकर अन्य संसाधनों पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए उसे उपलब्ध करा रहे हैं। अलविदा के बाद रमजान के गिने चुने दिन रह जाएंगे। चूंकि शुक्रवार को 25 रोजा मुकम्मल हो जाएगा। ऐसे में ईद पर्व में तीन से चार दिन का भी समय बचता है। स्थिति को देखते हुए मुस्लिम धर्मावलंबी ईद की तैयारियों को और तेज कर दिया है।