ईद को लेकर बहुत नहीं उत्साह, तैयारियां पड़ रही फीकी
जागरण संवाददाता चतरा रमजान का पवित्र महीना धीरे-धीरे विदा हो रहा है। रमजान का 21 रो
जागरण संवाददाता, चतरा : रमजान का पवित्र महीना धीरे-धीरे विदा हो रहा है। रमजान का 21 रोजा पूरा हो चुका है। एक सप्ताह के बाद ईद का पर्व है लेकिन ईद को लेकर वैसा उत्साह नहीं है, जैसा होता था। ईद की खुशियां वैश्विक महामारी कोरोना की भेंट चढ़ गई है। लगातार बढ़ रहा संक्रमण और उससे रोज-रोज हो रही मौत ने ईद की खुशी को काफुर बना दिया है। यही वजह है कि लोग अपने सबसे बड़े पर्व को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। तैयारियां बिल्कुल फीकी पड़ी हुई है। सरकार ने आंशिक लाक डाउन लगा रखी है। आवश्यक सेवाओं की दुकानों को छोड़ कर शेष अन्य का शटर डाउन है। कपड़ा से लेकर जूता-चप्पल और सिगार-पटार की दुकानों पर ताला लटका हुआ है। हालात सुधरने के बजाय और बदतर हो रहा है। ऐसे में लोग नया कपड़ा पहनने की सोच को ही त्याग दिया है। लोगों की जिदगियां घरों में कैद है। इसमें सबसे अधिक नुकसान कपड़ा, जूता-चप्प्ल, सिगार और पटार के व्यवसाय को हुआ है। ईद को लेकर व्यवसायियों ने करोड़ों का सामान महीना-डेढ़ महीना पहले ही स्टॉक कर लिया था। लेकिन इसी बीच कोरोना ने दस्तक दे दिया। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। लेकिन उसके बाद भी हालात सामान्य नहीं है। ऐसे में लाक डाउन की मियाद और बढ़ना करीब-करीब तय है। आम तौर पर दस रमजान के बाद लोग तैयारियों में जुट जाते थे। ईद का बाजार गुलजार हो जाता था। सुबह के दस बजे से लेकर रात के दस बजे तक बाजार में गहमागहमी रहती थी। लेकिन पिछले दो वर्ष से यह सब कुछ नहीं देखा जा रहा है।
लगातार दूसरे साल कोरोना की भेंट चढ़ी दुकानदारी
ईद बाजार लगातार दूसरी बार कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ा है। पिछले वर्ष भी कोरोना के कारण ईद फीकी हुई थी। प्राय: लोगों ने पुराने कपड़ों पर ईद की नमाज अदा की थी। ईद मुस्लिम धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र और बड़ा पर्व है। ईद के मौके पर प्राय: लोग नया कपड़ा, जूता-चप्पल एवं अन्य सामानों की खरीदारी करते हैं। लेकिन इन दो वर्षों से तो कपड़ों की खरीदारी हो रही है और नहीं दूसरे सामानों की। स्थानीय लाइन मोहल्ला निवासी मो. मेराज कहते हैं कि कोरोना ने हालात को बदतर कर दिया। जिस प्रकार से संक्रमण बढ़ रहा है, वैसे में जान बचाना पहली प्राथमिकता है। जान बचेगी, तो दूसरे साल ईद मना लेंगे।
बीस से पचीस करोड़ रुपये का है ईद बाजार
शहर में ईद का बाजार बीस से पचीस करोड़ रुपये की होगी। यह एक अनुमान पर आधारित है। सबसे अधिक बिक्री कपड़ा की होती है। यही कारण है कि ईद को लेकर कपड़ा व्यवसायी दो से ढाई महीना पहले से ही तैयारी में जुट जाते हैं। करोड़ों का कपड़ा लाकर स्टाक कर लेते हैं। लेकिन दो साल से कोरोना ने उनकी हिम्मत को पस्त कर दिया है। बड़े व्यवसायी तो झेल ले रहे हैं। लेकिन छोटे व्यापारियों की तो कमर टूट गई है। शहर के प्रतिष्ठित कपड़ा व्यवसायी आलोक कुमार खंडेलवाल कहते हैं, स्थिति बदतर हो गई है। दो साल से ईद का बाजार पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। ऐसी परिस्थिति जीवन पहले कभी नहीं देखी थी।