तीन दिवसीय प्रवचन सत्र का समापन आज
महर्षि मेंही आश्रम में दूसरे दिन भी प्रवचन का आयोजन संसार की तुलना शास्त्रों में सागर से की गई है स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज फोटो-16 संवाद सूत्र चतरा महर्षि मेंही आश्रम में दूसरे दिन भी प्रवचन का आयोजन किया गया। प्रवचन के लिए संतमत के केंद्रीय आश्रम भागलपुर से आए स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस संसार की तुलना शास्त्रों में सागर से की है । निद्राभय आदि जहां जीव-जन्तु हैं हिसा आदि को संसार में उठने वाले तरंग तृष्णा को भँवर स्त्रियों के लिए पुरुष तथा पुरुषों के लिए स्त्री कीचड़ या दलदल कहा गया है। उन्होंने कहा कि जहां से जीव को बाहर निकलना बहुत ही कठीन होता है। वैसे में किसी ज्ञानवान शुद्धाचारी एवं सुरत शब्द योग अभ्यसीपुरुष को गुरु मानकर उनके निर्देशानुसार सूक्ष्म मार्ग (ध्यान-योग ) का अवलम्ब लेकर व्यक्ति संसार- सागर को पारकर परम प्रभु परमात्मा से मिलकर सारे दुखों को पार कर जाता है। मौके पर स्वामी रविद्र ब्रह्मचारी सहित अन्य संत उपस्थित थे।
संवाद सूत्र, चतरा: महर्षि मेंही आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय आश्रम भागलपुर के स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने संबोधित किया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शास्त्रों में संसार की तुलना सागर से की गई है। कहा कि शास्त्र में निद्रा, भय आदि जहां जीव-जंतु, हिसा आदि को संसार में उठने वाले तरंग, तृष्णा को भंवर, स्त्रियों के लिए पुरुष तथा पुरुषों के लिए स्त्री कीचड़ या दलदल कहा गया है। उन्होंने कहा कि जहां से जीव को बाहर निकलना बहुत ही कठिन होता है। वैसे में किसी ज्ञानवान, शुद्धाचारी एवं सुरत शब्द योग अभ्यसीपुरुष को गुरु मानकर उनके निर्देशानुसार सूक्ष्म मार्ग (ध्यान-योग) कर व्यक्ति परम प्रभु परमात्मा से मिलकर सारे दुखों को पार कर जाता है। मौके पर स्वामी रविद्र ब्रह्मचारी सहित अन्य संत उपस्थित थे।