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आस्था का महोत्सव है कौलेश्वरी मेला

आने वाले श्रद्धालु न कौलेश्वरी पर्वत पर आस्था का जन सैलाब उमड़ा हुआ है। इतनी भीड़ इससे पहले यहां पर कभी नहीं देखने को मिली थी। श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मंदिर प्रबंधन समिति के लोग भी हदप्रभ है। सप्तमी और अष्ठमी को मिलाकर भीड़ की संख्या आठ लाख से ऊपर पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। ग्रामीणों का माने तो भीड़ ने एक नया कीíतमान स्थापित कर दिया है। इस बार श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित भीड़ आ रही है। इससे पूर्व इतनी भीड़ मेला में नहीं आई थी। उनका मानना है कि सप्तमी और अष्टमी के दोपहर तक आठ लाख से अधिक श्रद्धलु आ चुके हैं। प्रबंधन समिति के सदस्य कमलकांत केसरी कहते हैं कि पर्वत पर उनके जीवन में इससे पूर्व इतनी भीड़ कभी नहीं देखने को मिली है। कौश्लेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि भीड़ अप्रत्याशित है। बहरहाल श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। इतनी बड़ी भीड़ को व्यवस्थित करने एवं बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था शून्य है

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 07:07 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:16 AM (IST)
आस्था का महोत्सव है कौलेश्वरी मेला
आस्था का महोत्सव है कौलेश्वरी मेला

चतरा : कौलेश्वरी मेला प्रारंभ हो गया है। सात दिनों के भीतर करीब सात लाख श्रद्धालु दर्शन कर लौट चुके हैं। हंटरगंज से पर्वत तक श्रद्धालुओं का तांता देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार दस लाख से ज्यादा श्रद्धालु मां कौलेश्वरी के दरबार में मत्था टेकेंगे।

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दरअसल यह मेला मां कौलेश्वरी के प्रति आस्था के प्रति उत्सवी अभिव्यक्ति है। मां कौलेश्वरी के दर्शन के बाद लौटने वाले श्रद्धालुओं को पर्वत की तलहटी से लेकर हंटरगंज तक जगह-जगह पिकनिक मनाते और झूमते-नाचते देखा जा रहा है। पूरा वातावरण आस्था के महोत्सव के रूप में तब्दील हो गया है। पर्वत का चप्पा-चप्पा में आस्था का ज्वार फुट रहा है। चारों ओर माता कौलेश्वरी के जय जयकार हो रहे हैं।

प्रखंड मुख्यालय हंटरगंज से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कौलेश्वरी पर्वत पर रामनवमी के मौके पर विशाल मेला लगता है। मेला का आयोजन सदियों से हो रहा है। मेला में झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों के श्रद्धालु आते हैं। हालांकि इनमें सर्वाधिक संख्या बिहार की होती है। हंटरगंज प्रखंड झारखंड और बिहार की सीमा पर स्थित है। कौलेश्वरी पर्वत की ख्याति देश और दुनिया में है। कौलेश्वरी पर्वत तीन धर्मों का संगम स्थल है। सनातन, बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों की आस्था यहां से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। सनातन धर्मावलंबी नववर्ष प्रतिपदा शुरू होते ही पर्वत पर माता के दरबार में हाजरी लगाने के लिए जुटने लगते हैं। साधना के लिए कई साधक भी यहां आते हैं। मेला में शिरकत के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ वैसे तो नववर्ष प्रतिपदा से शुरू हो जाती है। सप्तमी से लेकर नवमी तक तो पर्वत पर पैर रखने की जगह नहीं होती है। कौलेश्वरी मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य अमरेंद्र केसरी उर्फ कुरकुर सिंह कहते हैं कि माता की महिमा अपरंपार है। भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। श्रद्धालु ढोल-बाजे के साथ नाचते और झूमते हुए मनोकामना सिद्धपीठ कौलेश्वरी पहुंचते हैं। पूजा-अर्चना के बाद संकल्प की रस्म को पूरा करते हैं और फिर उसी उत्साह से वापस लौटते हैं। वापस लौटने से पूर्व सौगात के रूप में लाठी खरीदना नहीं भूलते हैं। जितेंद्र कुमार कहते हैं कि लाठी खरीदने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूर्व में पर्वत पर बड़े पैमान पर बांस थे। लेकिन जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण सही ढंग से नहीं होने के कारण धीरे-धीरे बांस के पौधे सिमटे चले गए। कौलेश्वरी में जितनी भी लाठियां बिकती है, वह दूसरे जिलों से आते हैं।


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