मरते गए तालाब, बनते गए आशियाने
तो उस पर अमल नहीं हो रहा है। नगर परिषद के उपाध्यक्ष सुदेश कुमार कहते हैं कि सरकारी तालाबों का अतिक्रमण नहीं हुआ है। नगर परिषद प्रशासन इन तालाबों के सुंदरीकरण के लिए व्यापक योजना बनाई है। नईकी लाताब के जीर्णोद्धार पर ढाई करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
चतरा : शहरी क्षेत्र का जलस्तर जिस तेजी से घट रहा है, उसके लिए नगर परिषद प्रशासन भी कम जिम्मेदार नहीं है। नगर परिषद प्रशासन ने शहर के मरते हुए जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का कभी प्रयास नहीं किया। स्थिति ऐसी है कि कुछ तालाबों का अस्तित्व मिट चुका है तथा कुछ पर संकट का बादल मंडरा रहा है। अतिक्रमण के भेंट चढ़कर बड़े-बड़े भवनों का निर्माण हो चुका है। तालाबों की सुरक्षा और संरक्षण पर ध्यान नहीं देने के कारण यह लावारिश अवस्था में रहा। नगर परिषद के अधीन आठ तालाब हैं। जिसमें नईकी तालाब, छठ तालाब, कठौतिया तालाब, पुरैनिया तालाब, हरलाल तालाब, फांसीहारी तालाब एवं एसपी आवास के पीछे में स्थित तालाब शामिल है। इसके अलावा कुछ निजी हैं। इन सरकारी तालाबों में से अधिकांश का दशकों साल से जीर्णोद्धार नहीं हुआ है। शहर के हृदय स्थल बाजारटांड में नईकी तालाब स्थित है। जिसका रकबा करीब पांच एकड़ है। तालाब की जमीन का अतिक्रमण तो नहीं हुआ। लेकिन उसकी स्थिति जर्जर है। लाइन मोहल्ला, पुराना पेट्रोल पंप आदि क्षेत्रों के नालियों का गंदा पानी इसी तालाब में बह कर आता है। कूड़ा कचरा से तालाब का पानी पूरी तरह से दूषित हो गया है। दूषित पानी से बदबू आती है। हाल के दिनों में स्थिति इतनी बदतर हो गई थी कि उसके दुर्गंध से आसपास की आबादी त्रस्त थी। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से लेकर उपायुक्त तक इसकी शिकायत की गई। जिसके बाद तालाब का पानी को बहाया गया। वाटर हार्वेस्टिग को लेकर बनाई गई योजना अमल में नहीं आया। योजना तो बनाई गई। लेकिन उसका अनुपालन नहीं हुआ। शहर में बन रहे भवनों में वाटर हार्वेस्टिग की व्यवस्था नहीं है। सरकारी भवनों में इसकी व्यवस्था की जाती है, तो उस पर अमल नहीं हो रहा है।
नगर परिषद के उपाध्यक्ष सुदेश कुमार कहते हैं कि सरकारी तालाबों का अतिक्रमण नहीं हुआ है। नगर परिषद प्रशासन इन तालाबों के सुंदरीकरण के लिए व्यापक योजना बनाई है। नईकी लाताब के जीर्णोद्धार पर ढाई करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए डीपीआर बना लिया गया है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। दूसरे तालाबों के लिए इसी प्रकार की योजनाएं बनाई गई है।