उल्लास के साथ मनाया गया भैया दूज
हर घर में बहनों ने स्नान-ध्यान के बाद विष्णु-गणेश की पूजा की। इसके बाद शुभ मुहूर्त में चावल के घोल से बनाए चौक पर बहनों को भाई के माथे पर टीका लगा उसकी लंबी उम्र की कामना कर भोजन कराया। बदले में भाइयों ने भी यथाशक्ति बहिनों को भेंट-उपहार दिए। नन्हे भाई-बहनों ने भी अपने परिजनों के दिशा-निर्देशन में परम्परानुसार भाई दूज का पर्व मनाया। बहनों ने छोटे भाइयों के भाल पर रोली का टीका लगा उसका मुंह मीठा कराया। बदले में माताओं ने भाई की ओर से बहन को भेंट राशि आदि प्रदान किए।
चतरा : भाई और बहन के प्यार का त्योहार भैया दूज जिले में उत्साह से मनाया गया। बहनों ने स्नान-ध्यान के बाद विष्णु-गणेश की पूजा की। इसके बाद शुभ मुहूर्त में चावल के घोल से बनाए चौक पर बहनों को भाई के माथे पर टीका लगा उसकी लंबी उम्र की कामना कर भोजन कराया। बदले में भाइयों ने भी यथाशक्ति बहिनों को भेंट-उपहार दिए। नन्हे भाई-बहनों ने भी अपने परिजनों के दिशा-निर्देशन में परम्परानुसार भाई दूज का पर्व मनाया। बहनों ने छोटे भाइयों के भाल पर रोली का टीका लगा उसका मुंह मीठा कराया। बाबा विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि सूर्य के संज्ञा पुत्र यमराज और पुत्री यमुना में बहुत प्रेम था। यद्यपि यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते। इसीलिए उनमें परस्पर मनमुटाव रहने लगा। एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने जा पहुंचे। भाई को आया देख यमुना बहुत खुश हुईं। उसने भाई के लिए खाना बनाया और खूब आदर सत्कार किया। बहन का प्यार देखकर यम भी बेहद खुश हुए और उन्होंने यमुना को उपहार में यह वर दिया कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर टीका लगवाकर खाना खाएगा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी। उसी परम्परा के निर्वाह में यह दिन यम द्वितीया अथवा भाई दूज के रूप में मान्य हुआ।