Move to Jagran APP

17 दिनों का होगा पितृपक्ष, बन रहे कई संयोग

पितरों के तर्पण का महापर्व पितृपक्ष सोमवार से शुरू हो रहा है। इस वर्ष कई वर्षों बाद यह पक्ष 17 दिनों का होगा। इस बार पितृपक्ष में कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। सोमवार को पूर्णिमा और मंगलवार को प्रतिपदा तिथि का तर्पण व श्राद्ध किया जाएगा। पितृपक्ष आश्विन की अमावस्या नौ अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान सूक्ष्म जगत में गए अपने पूर्वजों को तर्पण, ¨पडदान और श्राद्ध कर तृप्त करते हैं। पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण करने से शुभाशीष फल मिलता है जिससे धन की वृद्धि और परिवार को

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 07:15 PM (IST)
17 दिनों का होगा पितृपक्ष, बन रहे कई संयोग
17 दिनों का होगा पितृपक्ष, बन रहे कई संयोग

चेतन पांडेय, पत्थलगडा : पितरों के तर्पण का महापर्व पितृपक्ष सोमवार से शुरू हो रहा है। इस वर्ष कई वर्षों बाद यह पक्ष 17 दिनों का होगा। इस बार पितृपक्ष में कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। सोमवार को पूर्णिमा और मंगलवार को प्रतिपदा तिथि का तर्पण व श्राद्ध किया जाएगा। पितृपक्ष आश्विन की अमावस्या नौ अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान सूक्ष्म जगत में गए अपने पूर्वजों को तर्पण, ¨पडदान और श्राद्ध कर तृप्त करते हैं। पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण करने से शुभाशीष फल मिलता है जिससे धन की वृद्धि और परिवार को सुख शांति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन की अमावस्या तक की अवधि को पितृपक्ष या महालय के नाम से जाना जाता है। गरुड़ पुराण में लिखा है कि देह त्यागकर पितृलोक को गए पूर्वज इन 16 दिनों में सूक्ष्म शरीर के साथ पृथ्वी पर आते हैं और परिवार के सदस्यों के बीच रहते हैं। जिन परिवारों में पितरों की पूजा नहीं होती, पितरों के नाम से अन्न, जल और ¨पड नहीं दिए जाते, उनके पितर नाराज हो जाते हैं और परिवार को पितृदोष लग जाता है। पितृपक्ष में पूर्वज हमें आशीर्वाद देने आते हैं। जिनका अंतिम संस्कार नहीं हुआ, जिनका विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं हुआ ,जिन्हें कोई जल नहीं देता है ऐसी असंख्य आत्माएं सूक्ष्म जगत में भटकती रहती हैं। यह अतृप्त आत्माएं ही हमारी उन्नति में बाधक होती है। तर्पण, ¨पडदान और धूप देने से यह आत्माएं तृप्त होती हैं। उन्हें शांति देने तथा उनका आशीर्वाद पाने के लिए पितृपक्ष में ¨पड दान और तपर्ण करते हैं। परिवार के जिस व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को हुई हो उसी तिथि में उनका श्राद्ध करना चाहिए। मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं हो तो अमावस्या को श्राद्ध करना चाहिए।

loksabha election banner

:::::::::::::::::::::::::::::

घाटों की बढ़ेगी रौनक, तर्पण करने पहुंचेंगे लोग

पितृपक्ष का लोगों का खाशे इंतजार है। यहां कई लोग पितृपक्ष में अपने पितरों का तर्पण करते हैं तो कई श्राद्ध भी करते हैं। स्थानीय नदी घाटों पर पहुंचकर छोरकर्म करते हैं उसके बाद पितरों का तर्पण करते हैं। कई लोग तर्पण के बाद घर में श्राद्ध भी करते हैं। कई लोग मोक्ष की नगरी गया भी पहुंचते हैं अपने पितरों को जलांजलि अर्पण करते हैं। प्रखंड के डमौल स्थित उत्तर वाहिनी बुद्ध नदी समेत चौथा, बरवाडीह,  ¨सघानी, नोनगांव, तेतरिया, नावाडीह, लेम्बोइया आदि गांवों के नदियों में भी प्रत्येक दिन तर्पण करने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.