चतरा ने जीता कवियों का दिल
चतरा : किसी कार्यक्रम की सफलता दर्शक दीर्घा के हाव भाव पर निर्भर करती है। कार्यक्रम अगर कवि सम्मेलन
चतरा : किसी कार्यक्रम की सफलता दर्शक दीर्घा के हाव भाव पर निर्भर करती है। कार्यक्रम अगर कवि सम्मेलन का हो तो सफलता का पूरा दारोमदार श्रोताओं पर होता है। श्रोता अगर खुश हैं तो हास्य रस के कवि भी वीर रस की कविताएं सुनाने को बाध्य हो जाते हैं। दैनिक जागरण के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भी कुछ ऐसा ही हुआ। चतरा के श्रोताओं के समर्थन ने कार्यक्रम प्रस्तुत करने आए ख्याति प्राप्त कवियों का दिल बाग-बाग कर दिया। हर कवि ने यहां के नेताओं की प्रशंसा की। देश और विदेश में हजारों कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले डॉ. राहत इंदौरी ने तो यहां तक दिया कि छोटा सा शहर में इतनी संख्या में श्रोताओं का जुटना यहां की साहित्यिक गतिविधियों को प्रदर्शित करती है। तेज नारायण शर्मा ने कहा कि चतरा के श्रोताओं ने एक मिशाल कायम किया है। कार्यक्रम के आगाज से लेकर अंजाम तक बैठे रहे, ऐसा बहुत कम ही स्थानों पर मिलता है। गजेंद्र सोलंकी ने कहा कि नि:संदेह चतरा का आयोजन उनके मन और मस्तिष्क में हमेशा छाया रहेगा। वैशाली शुक्ला और प्रख्यात मिश्रा ने भी चतरा के श्रोताओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की।