चरस के धुएं में उड़ती जवानी, तबाह ¨जदगानी
जुलकर नैन, चतरा : नशे की गिरफ्त में फंसे खुशहाल प्रदेश पंजाब की बदहाली पर निर्देशक अभिषे
जुलकर नैन, चतरा : नशे की गिरफ्त में फंसे खुशहाल प्रदेश पंजाब की बदहाली पर निर्देशक अभिषेक चौबे ने फिल्म उड़ता पंजाब बनाई, तो लोगों की जुबान पर चढ़ गई। झारखंड का चतरा भी उड़ रहा है। यहां के युवा भी नशे की जकड़न में तेजी से फंस रहे हैं। नया पैशन चरस वाली सिगरेट को लेकर है। छोटी-बड़ी खास गुमटी और दुकानों में यह खास सिगरेट मिल जाता है। बस, जानने वाले ही दुकान के बारे में जानते हैं। नशे के धंधे में यहां की पूरी जमीन तैयार है। कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की ललक और नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाके में बड़े पैमाने पर पोस्ता, जिससे अफीम तैयार किया जाता है की खेती हो रही है। पिछले एक दशक से अधिक समय से यह सिलसिला अफीम से चरस तक जा पहुंचा है। पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लेकर गुजरात के सूरत के तस्करों से तार यहां के जुड़े हैं। तस्करों ने ही अफीम से चरस बनाने की विधा यहां के लोगों को सिखाई है। पोस्ता से अफीम, अफीम से ब्राउन शुगर और ब्राउन से चरस तैयार किया जाता है। परिस्कृत होने के साथ कीमत बढ़ती जाती है। चरसयुक्त सिगरेट का नशा तेजी से सिर चढ़ता जा रहा है। हालात पर जल्द नहीं काबू पाया गया, तो देर हो सकती है। यहां के बाजारों में आसानी से चरस निर्मित सिगरेट उपलब्ध है। पुलिस चरस वाली सिगरेट के फैलते धंधे की जानकारी से इंकार कर रही है।
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चतरा के जेल में बंद हैं पंजाब व यूपी के तस्कर
अफीम की तस्करी के बड़े नेटवर्क का नतीजा है कि पंजाब और उत्तर प्रदेश के आठ से दस तस्कर स्थानीय मंडल कारा में बंद हैं। इस अवैध धंधे से युवाओं का एक बड़ा समूह जुड़ा हुआ है। यह समूह स्थानीय स्तर पर निर्मित चरस को सिगरेट के रूप में बाजार में खपा रहा हैं। स्थानीय बाजार में चरस भरी सिगरेट पाच सौ से लेकर हजार रुपये तक उपलब्ध है। तस्करी से नाजायज तरीके से आने वाले पैसे या बड़े बाप के बिगड़े बेटे जुनून में चरण युक्त सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं। जानकार बताते हैं कि जिन प्रखंडों में पोस्ता अर्थात अफीम की खेती होती है उन्हीं इलाकों में चरस निर्मित सिगरेट की बिक्री सबसे अधिक है। बिक्री भी गोपनीय तरीके से होती है। जो जानते हैं उनके लिए चु¨नदा दुकानों में आसानी से उपलब्ध है। :::::::::::::::::::
लंबे समय से हो रही अफीम की खेती
जिले में अफीम की खेती पिछले बारह से पंद्रह वर्षो से हो रही है। जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों नहीं, हजारों युवक जुड़े हुए हैं। खेती पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस अपने स्तर से कोशिश करती है, अभियान चलाती है मगर अपेक्षित सफलता नहीं मिलती। सुदूर नक्सल प्रभावित इलाकों में सामान्य अनाज की तरह उपज होती है। इसकी खेती के लिए नक्सली प्रमोट करते हैं, मदद करते हैं, धमकाते हैं ।
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महिलाएं भी तस्करी के धंधे में पैसों की लालच में युवक तो युवक महिलाएं भी जेल की हवा खा रही है। इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर महीने तक जिले के विभिन्न थानों में एनडीपीएस एक्ट के 46 मुकदमे दर्ज हुए हैं। हंटरगंज और कुंदा प्रखंड में एक-एक युवक की जान भी अफीम के चक्कर में चली गई। हाल ही में गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर अफीम के साथ सात महिलाएं गिरफ्तार हुई, उत्तर प्रदेश के बरेली से भी चार महिलाएं गिरफ्तार हुईं। ये सभी महिलाएं चतरा के गिद्धौर प्रखंड के विभिन्न गावों की हैं। तस्करी में महिलाओं का इस्तेमाल कूरियर के रूप में हो रहा था। इस प्रकार कम समय में लखपति और करोड़पति बनने का सपना लिए लोग इस दलदल में फंसते जा रहे हैं। उनका नेटवर्क काफी फैला हुआ है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के तस्कर तक यहा पर अफीम खरीदने आते हैं। अफीम खरीदने वाले तस्कर ही इन्हें ब्राउन शुगर और चरस बनाने की विधि से अवगत कराया है।
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इन रास्तों से होती है तस्करी
अफीम की तस्करी चतरा से दो रास्तों से होती है। पहला चतरा से इटखोरी होते हुए चौपरण जीटी रोड़ से और दूसरा चतरा हंटरगंज के रास्ते डोभी जीटी रोड़। यहां से माल उत्तर प्रदेश के बरेली पहुंचती है, वहां से माल एनएच के रास्ते या रेल से या छोटी-बड़ी गाड़ियों से दिल्ली व पंजाब पहुंचाया जाता है। जानकार लोग तो कहते हैं कि यहां का माल पंजाब से अफगानिस्तान भी भेजा जाता है। केस स्टडी 1 : चतरा शहर के एक युवा व्यवसायी हैं, व्यवसाय ढंग से चला भी रहे थे लेकिन इसी बीच नशे की लत लगी और चरस निर्मित सिगरेट पीने के आदी हो गए। दिन भर में आठ दस सिगरेट पी जाते हैं। परिवार के सदस्य जब विरोध करते हैं, तो कहता है कि उसके बगैर वह जीवित नहीं रह सकता।
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केस स्टडी 2 : एक अन्य युवक है कभी नामी फुटबालर थे, खेलकूद में काफी रुचि रखते थे, लेकिन अब वह खुद होश में नहीं रहते। चरस निर्मित सिगरेट की लत ने उन्हें नशेड़ी बना दिया है। स्थिति तो यह है कि दिन भर में चरस निर्मित पांच से छह सिगरेट नहीं पीते तो उन्हें चैन नहीं आती। वर्जन
पोस्ता अर्थात अफीम की खेती होती है। मेरे संज्ञान में अभी तक चरस निर्मित सिगरेट का मामला प्रकाश में नहीं आया है। वैसे युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ने की जानकारी मिल रही है। अफीम की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए नारकोटिक्स सेल का गठन किया गया है। इस वर्ष जनवरी से लेकर अक्टूबर तक एनडीपीएस एक्ट के 46 मामले दर्ज हुए हैं।
-अखिलेश बी वारियर, एसपी, चतरा।