Lok Sabha Election 2019: बूथ मैनेजमेंट भी तय करेगी प्रत्याशी की जीत-हार
Lok Sabha Election 2019. मतदाताओं की जितनी गोलबंदी करनी थी वह भी कर ली गई। अब सारा दारोमदार बूथ मैनेजमेंट पर आकर टिक किया है।
चतरा, [संजय शर्मा]। जितना प्रचार करना था कर लिया गया। मतदाताओं की जितनी गोलबंदी करनी थी, वह भी कर ली गई। अब सारा दारोमदार बूथ मैनेजमेंट पर आकर टिक किया है। बूथ मैनेजमेंट जिसका तगड़ा होगा, चतरा से मैदान मारने की संभावनाएं उसी की ज्यादा होगी।
वैसे तो चतरा से चुनाव लड़ रहे कई प्रत्याशियों ने बूथ मैनेजमेंट की तैयारियां कर रखी है। लेकिन इसमें भाजपा, कांग्रेस व राजद सबसे आगे है। इन तीनों दलों के द्वारा लोकसभा क्षेत्र के हर बूथ पर कार्यकर्ताओं की फौज तैनात करने की योजनाएं हैं। मतदान केंद्र पर बैठने से लेकर मतदाताओं को घर से निकाल कर मतदान केंद्र तक लाने तक की व्यवस्थाएं की गई है।
इसमें समर्थक, दलों के कार्यकर्ताओं की भी सहायता ली जा रही है। जिस गांव से मतदान केंद्र की दूरी ज्यादा है, वहां कुछ दलों के द्वारा वाहन की सुविधाएं भी उपलब्ध कराए जाने की सूचना आ रही है। बूथ मैनेजमेंट को लेकर शुक्रवार से ही भाजपा, कांग्रेस व राजद के कार्यालय में कार्यकर्ताओं की गहमागहमी देखने को मिली है। अब देखना यह है कि मतदान के दिन किस प्रत्याशी का बूथ मैनेजमेंट तगड़ा रहता है।
जिसका बूथ मैनेजमेंट सही रहेगा, जीत की संभावनाएं उसी की ज्यादा बनेगी। क्षेत्र के चुनाव विश्लेषक भी इस बात से काफी सहमत हैं। चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि मतदान के दिन कार्यकर्ताओं की सक्रियता प्रत्याशी की हार-जीत का निर्धारण करती है। जिस प्रत्याशी का कार्यकर्ता मतदान की प्रक्रिया आरंभ होने से लेकर उसके समापन तक सक्रिय रहता है, उसके पक्ष में ज्यादा से ज्यादा वोट पड़ते हैं।
वहीं निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की फौज लेकर उतरने वाले प्रत्याशी के हारने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। क्योंकि मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा भी होता है जो मतदान के दिन हवा का रुख भांप कर वोट करता है। ऐसे मतदाताओं को संबंधित दल के सक्रिय कार्यकर्ता अपने पक्ष में मतदान करने के लिए रिझाने में कामयाब हो जाते हैं।