बेटा-बेटी को अच्छे संस्कार की सीख दें माता-पिता
अंगवाली (बेरमो) भागलपुर से पधारीं मानस कोकिला संगीता सुमन ने कहा कि बेटा-बेटी को अच्छे
अंगवाली (बेरमो) : भागलपुर से पधारीं मानस कोकिला संगीता सुमन ने कहा कि बेटा-बेटी को अच्छे संस्कार की सीख माता-पिता दें। अब अधिकतर माताओं ने अपनी बेटियों को पारिवारिक परिवेश एवं विरासत को संभालने का उपदेश देना छोड़ दिया है, जो बहुत बड़ी भूल है। विवाह के उपरांत दोनों कुल की मर्यादाओं का ख्याल रखने की नसीहत देने की प्रथा भी अब सिमट कर रह गई है। आज बेटियां भी शिक्षा के क्षेत्र में काफी अग्रसर हो गई हैं, उसके बावजूद अपनी विरासत व पारिवारिक परिवेश को भूलना नहीं चाहिए। वे मंगलवार को अंगवाली के माइथान टुंगरी में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम चरित मानस यज्ञ के के दौरान प्रवचन दे रही थीं। उन्होंने पर्वतराज हिमालय व माता मैना की माता पार्वती को विवाह उपरांत दिए गए उपदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज परिवार मे संतानों मे बेटों को वंश आगे बढ़ानेवाले की संज्ञा दी जाती है, जो बिल्कुल गलत है। मानस के प्रसंगों में यह वर्णित है कि बेटियां भी वंश चलाकर मां-बाप को कीर्ति दिलाती हैं। बेटा तो मां-बाप को मृत्यु के बाद मुक्त करता है, लेकिन बेटियां तो जीते-जी ही कन्यादान के दौरान उन्हें मुक्त करती हैं।
अयोध्या से पधारे मानस मधुकर मधुसूदन शास्त्री ने भगवान श्रीराम के अवतरण पर व्याख्यान देते हुए कहा कि संसार में धर्म की हानि व ग्लानि होने पर ही भगवान को धरती पर आने को विवश होना पड़ता है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की उक्ति यदा-यदा धर्मस्य ग्लानि भवति भारती और तुलसी दास की जब-जब होई धरम की हानि' का विश्लेषण करते हुए कहा कि दुर्योधन ने बड़े कुल में जन्म लेकर भी व्यभिचार को फैलाया था, जो धर्म की ग्लानि का कारण बना। वहीं उत्तम कुल में जन्म लेकर भी रावण ने उत्पात मचाया था, जो धर्म की हानि कहलाया। गिरिडीह से पधारे व्यास अनिल पाठक व उनके सहयोगियों ने भगवान श्रीराम के जन्म का संगीतमय उल्लेख करते हुए सोहर गायन से श्रद्धालुओं को आनंदित किया। मौके पर सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।