इस्पात के हाथों से संवर रहा धरा का अप्रतिम सौंदर्य
बोकारो इस्पात संयंत्र प्रबंधन धरा के अप्रतिम सौंदर्य को निखारने में लगा है। पर्यावरण को स्वछ बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, बोकारो: बोकारो इस्पात संयंत्र प्रबंधन धरा के अप्रतिम सौंदर्य को निखारने में लगा है। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। प्रबंधन की ओर से एक ओर जहां नगर व संयंत्र परिसर में पौधरोपण कराया गया, वहीं जल स्रोत को भी संरक्षित किया जा रहा है। इससे बोकारो नगर की हरियाली देखते बनती है। इससे पौधारोपण व जल संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है।
नगर व प्लांट परिसर में लगाए गए 75 हजार पौधे: बोकारो इस्पात संयंत्र के उद्यान विभाग की ओर से 2019-20 में नगर के विभिन्न सेक्टर एवं प्लांट परिसर में लगभग 75 हजार पौधे लगाए गए। पौधारोपण के माध्यम से पूरे क्षेत्र को ग्रीन जोन में बदलने का काम किया जा रहा है। विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इन पौधों की देखभाल करते हैं।
नौ तालाबों का किया गया जीर्णोद्धार: विभाग की ओर से जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर भी काम किया जा रहा है। बोकारो इस्पात नगर के सेक्टर तीन टू टैंक गार्डेन, सेक्टर चार एफ सूर्य सरोवर, सेक्टर पांच सरोवर सहित नौ तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया। इसकी नियमित रूप से साफ-सफाई कराई जाती है।
रेन वाटर हार्वेस्टिग संयंत्र लगा: प्रबंधन की ओर से वर्षा जल संरक्षण की दिशा में सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है। पर्यावरण भवन के निकट रेन वाटर हार्वेस्टिग संयंत्र स्थापित किया गया है। इसके माध्यम से वर्षा जल को संरक्षित किया जाता है। इससे भूगर्भ जल का स्तर नहीं घटता है। इसके माध्यम से लोगों को वर्षा जल संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
जल की बर्बादी रोकने का हो रहा प्रयास: प्लांट में प्रयुक्त जल को बर्बाद होने से रोकने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसे रीसाइकिल कर पुन: प्रयोग में लाया जा सके, इसलिए जीरो डिस्चार्ज प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।
इधर, गरगा डैम के निकट भी लगभग डेढ़ लाख पौधे लगाए गए हैं। इनकी बेहतर तरीके से देखभाल की जा रही है। इसलिए पूरा इलाका वन क्षेत्र के रूप में तब्दील हो रहा है। यहां पूरे क्षेत्र में हरियाली छा गई है।