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जलसंकट से जूझ रहा बेरमो कोयलांचल

बेरमो जलसंकट से पूरा बेरमो कोयलांचल जूझ रहा है। यहां के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:54 AM (IST)
जलसंकट से जूझ रहा बेरमो कोयलांचल
जलसंकट से जूझ रहा बेरमो कोयलांचल

बेरमो : जलसंकट से पूरा बेरमो कोयलांचल जूझ रहा है। यहां के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। कोलियरी क्षेत्र की कॉलोनियों में भी जलापूíत की व्यवस्था चौपट है, जबकि बेरमो में सीसीएल के तीन प्रक्षेत्र हैं। इस नाते कोलियरियों के निकटवर्ती इलाकों में जलापूíत की व्यवस्था कराना राज्य सरकार के साथ-साथ सीसीएल प्रबंधन की भी जिम्मेवारी है। इसके विपरीत, कोयला परियोजनाओं के आसपास की आबादी पानी के लिए तरस रही है। दूरदराज से पानी ढोकर लाने को महिलाओं-पुरुषों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। सुबह से देर रात तक लोग दामोदर नदी व चापाकलों से पानी लाने को मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति यहां के ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी है। शहरी जलापूíत परियोजना फुसरो नगर क्षेत्र में अबतक शुरू नहीं हो सकी है, जबकि यहां की पांच दशक पुरानी जलापूíत व्यवस्था वर्तमान आबादी की प्यास बुझाने में अक्षम साबित हो रही है। यही कारण है कि नगर परिषद फुसरो के लगभग सभी 28 वार्ड के लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं।

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शहरी आबादी के समक्ष विकट चुनौती : फुसरो नगर परिषद क्षेत्र के भुेड़मुक्का, मधुकनारी, ढोरी बस्ती, मोदी धौड़ा, तीन नंबर धौड़ा, राजेंद्र कॉलोनी, कमार धौड़ा, मुंडा धौड़ा आदि क्षेत्रों की घनी आबादी के समक्ष जल संकट से निजात पाने की विकट चुनौती है। इन स्थानों में पाइपलाइन से वाटर सप्लाई की व्यवस्था नहीं है। इसलिए लोग कुआं, चापाकल सहित अन्य प्राकृतिक जलस्त्रोतों से सालों भर पानी लेते हैं। गर्मी के दिनों में जलस्त्रोतों के सूखने से पानी की समस्या और ज्यादा गहरा जाती है।

सीसीएल प्रबंधन नहीं दे रहा ध्यान : बेरमो कोयलांचल का अधिकांश क्षेत्र सीसीएल अधिगृहीत है, जहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना सीसीएल की जिम्मेवारी है। फिर भी इस दिशा में प्रबंधन का रवैया उदासीन है और ध्यान नहीं दे रहा है। कुछेक क्षेत्रों में ही सीसीएल की जलापूíत व्यवस्था ठीक-ठाक है। वहीं ढोरी पांच नंबर धौड़ा की स्थिति यह है कि लोग पानी के अभाव में प्रतिदिन स्नान नहीं कर पाते हैं। इस धौड़ा के लोग खुली खदान में जमा पानी को उपयोग में लाने के लिए कई बार दुर्घटना के शिकार भी हुए हैं। मजबूरन लोगों को पीने का पानी अन्य स्थानों से लाना पड़ता है।

चुआं के पानी से बुझती प्यास : कोयला मजदूरों की कॉलोनी तुरियो धौड़ा की आबादी लगभग एक हजार है। यह धौड़ा दामोदर नदी के किनारे है। इसके बावजूद यहां लोग पेयजल के लिए तरस रहे हैं। इस धौड़ा के किनारे से बहनेवाली दामोदर नदी का पानी प्रदूषित होने की वजह से सीधे तौर पर पीने लायक नहीं है। इसलिए यहां के लोग नदी तट पर चुआं खोदकर पानी लाते हैं और प्यास बुझाते हैं। गर्मी व जाड़ा के दिनों में तो नदी की जलधारा सिमटी रहने पर उसके तट पर यहां की महिलाएं चुआं खोदकर पीने योग्य पानी निकाल लेती हैं, लेकिन बरसात के दिनों में पूरा तट जलमग्न हो जाने पर यहां के लोगों को नदी का गंदा पानी ही पीने को मजबूर होना पड़ता है। धौड़ा में एक भी डीप बोरिग या चापाकल नहीं है।

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वर्जन

बेरमो प्रखंड की 18 पंचायतों में जलापूíत के लिए 53 करोड़ की परियोजना धरातल पर उतारी जा रही है। फुसरो नगर क्षेत्र में जलापूíत के लिए 47 करोड़ की योजना स्वीकृत की जा चुकी है। फुसरो स्थित ढोरी खास में शहरी जलापूíत परियोजना को विभागीय स्तर से धरातल पर उतारने की कवायद तेज कर दी गई है। लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही उक्त परियोजना सरजमीन पर उतार दी जाएगी।

- योगेश्वर महतो बाटुल, विधायक, बेरमो विधानसभा क्षेत्र


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