बिजली के झटकों ने बढ़ाई चास की प्यास
चास में बिजली कटौती के कारण जलापूर्ति योजना से लोगों को नियमित रूप से पानी नहीं मिल रहा है। टंकी में एक दिन छोड़कर पानी पहुंचाया जा रहा है। बिजली की लचर व्यवस्था के कारण 35 वार्ड में पौने दो लाख की आबादी को नियमित पानी मिलना मुश्किल हो गया है।
जागरण संवाददाता, चास: चास में बिजली कटौती के कारण जलापूर्ति योजना से लोगों को नियमित रूप से पानी नहीं मिल रहा है। टंकी में एक दिन छोड़कर पानी पहुंचाया जा रहा है। बिजली की लचर व्यवस्था के कारण 35 वार्ड में पौने दो लाख की आबादी को नियमित पानी मिलना मुश्किल हो गया है। चास नगर निगम बिजली नहीं रहने के कारण लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने में असमर्थता जता रहा है। मंगलवार को भी आधे शहर में जलापूर्ति बाधित रही।
गौरतलब है कि चास नगर निगम क्षेत्र में 54 करोड़ रुपये की लागत से पांच टंकी बनाकर दामोदर से पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन अभी तक जलसंकट का स्थायी समाधान नहीं हो सका है। गर्मी में तो पानी की समस्या रहती ही है, बारिश के मौसम में भी लोगों को नियमित पानी नहीं मिल रहा है। डब्ल्यूटीपी में बिजली नहीं रहने के कारण टंकी में एक दिन छोड़कर पानी पहुंच रहा है। नियमित जलापूर्ति नहीं होने के कारण लोगों को बोकारो से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। वहीं जो सक्षम हैं, वह 10 रुपये प्रति गैलन पानी खरीद रहे हैं। कुल मिलाकर चास जलापूर्ति योजना लोगों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रही है।
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चास में जलापूर्ति का स्थायी इंतजाम नहीं: चास में जलापूर्ति व कचरे की सफाई, ये दोनों स्थायी समस्याएं बनती जा रही हैं। लोगों के घरों तक नियमित पानी पहुंचाने में नगर निगम अभी तक विफल ही है। वर्ष 2014 में दामोदर से पानी आ गया। उसके बाद सात वर्ष तक सिस्टम को ठीक नहीं किया जा सका है। कोई ऐसा महीना नहीं है, जब दोनों समय पानी मिला हो। इस बीच एक मेयर व चार अपर नगर आयुक्त बदल गए। पर जनता प्यासी है तो प्यासी है। अब कहा जा रहा है कि वर्ष 2022 तक रुकिए, फेज दो जलापूर्ति योजना 150 करोड़ की योजना पूरी होगी तो पानी मिलेगा। फिलहाल फेज दो का काम चल रहा है। फेज दो योजना से छह टंकी बनाकर 170 किलोमीटर तक पाइपलाइन बिछाने का कार्य भी किया जाना है।