भाषा, संस्कृति और परंपरा ही समाज की असली पहचान : सुदेश
बरमसिया : किसी भी समाज की भाषा, संस्कृति, परंपरा उसकी वास्तविक पहचान होती है। हम झारखं
बरमसिया :
किसी भी समाज की भाषा, संस्कृति, परंपरा उसकी वास्तविक पहचान होती है। हम झारखंडवासी प्रकृति में रचते-बसते हैं। यह बातें आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने चंदनकियारी प्रखंड के सांड़बोआ में आयोजित करम महोत्सव के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि प्रकृति पर्व करम हमें प्रेम का संदेश तो देता ही है, साथ ही हमारी कला, संस्कृति, परंपरा एवं सामजिक समरसता को भी मजबूती प्रदान करता है। समाज हमेशा अपने भाषा एवं संस्कृति में ही जीता-जागता है। झारखंड की भाषा, परंपरा और संस्कृति को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी हम सबों की है। उन्होंने महोत्सव में शामिल सभी महिलाओं और युवाओं को बधाई दी तथा राज्य की सांस्कृतिक पहचान को बचाए रखने में भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
विधायक राजकिशोर महतो ने कहा कि आधुनिक चकाचौंध के बावजूद हमें अपनी मूल संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। करम महोत्सव जैसे आयोजनों से समाज की संस्कृति को और जीवंतता मिलती है। पूर्व मंत्री और पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष उमाकांत रजक ने कहा कि कर्म और धर्म का ही समावेश है करम पूजा, जो भाई-बहन के प्रेम को भी परिलक्षित करती है। इसके जरिए हमें इलाके के विकास के लिए एकजुट होने की जरूरत है। इस अवसर पर राम¨ककर महतो, मंटू महतो, साधुशरण गोप, अजय ¨सह, दुर्गाचरण महतो, राजेश महतो, भोलानाथ गोप, सचिन महतो, मंटू महतो, शिव प्रसाद महतो, राम¨ककर महतो, अश्विनी महतो, भूतनाथ महतो, ठाकुरलाल महतो, दिलीप महतो, पार्वती चरण महतो, भोलानाथ महतो आदि उपस्थित थे।