सेल को दूसरी तिमाही में हुआ 516 करोड़ का नुकसान, इसके बावजूद मुनाफे में रहा बीएसएल
स्टील अथाॅरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक मंडल की बैठक 10 नवंबर को नई दिल्ली में हुई। इसमें कंपनी के वित्तीय परिणाम की घोषणा की गई। चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही के वित्तीय परिणाम के तहत इस बार कंपनी को 516 करोड़ का कर पूर्व नुकसान हुआ है।
जागरण संवाददाता, बोकारो: स्टील अथाॅरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक मंडल की बैठक 10 नवंबर को नई दिल्ली में हुई। इसमें कंपनी के वित्तीय परिणाम की घोषणा की गई। चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर माह) के वित्तीय परिणाम के तहत, इस बार कंपनी को 516 करोड़ का कर पूर्व नुकसान हुआ है। पिछले वर्ष इसी अवधि में कंपनी को 5763 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
हालांकि संतोष की बात यह है कि सेल की सभी इकाइयों में बोकारो इस्पात संयंत्र लाभ देने वाली इकलौती यूनिट साबित हुई है। बोकारो स्टील को पहली तिमाही में 609 करोड़ का लाभ हुआ था, जो घटकर दूसरी तिमाही में 90 करोड़ रह गया है। यानी इस वित्तीय वर्ष में बीएसएल अबतक 699 करोड़ रुपये का लाभ कमा चुका है। वहीं सेल की दूसरी इकाई दुर्गापुर ने अपने घाटे को पाट दिया है। कंपनी को पहली तिमाही में 141 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। कंपनी ने दूसरी तिमाही में 153 करोड़ का मुनाफा कमाया है।
सेल ने इस वित्तीय वर्ष की छमाही में अप्रैल से सितंबर माह के दौरान लगभग 523 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ कमाया, लेकिन इस तिमाही में हुए 516 करोड़ रुपये के नुकसान के कारण लाभ लगभग नगण्य हो चुका है। कंपनी ने गत वर्ष पहले छह माह में 8154 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया था।
चालू तिमाही में घाटे को पाटने की उम्मीद
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले के मूल्य में हुई वृद्धि का असर सीधे-सीधे इस्पात कंपनियों के लाभ पर पड़ा है। प्रथम तिमाही में 40 हजार रुपये प्रतिटन कोयले का मूल्य था तो स्टील का बाजार भाव 75 हजार रुपये प्रतिटन था। दूसरी तिमाही में इस्पात का बाजार मूल्य 55 हजार रुपये प्रतिटन हो गया। इससे कंपनी को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि राहत की बात यह है कि कोयले की कीमत भी वर्तमान में घटकर 30 हजार रुपये प्रतिटन हो गई है। इसलिए प्रबंधन का पूरा फोकस अब कम कोयले के उपयोग के साथ ज्यादा उत्पादन को करना है। इसके लिए बाकायदा रूपरेखा भी तैयार की गई है।
कंपनी का कहना है कि इस बार गत वित्तीय वर्ष से अधिक का करोबार हुआ है। यदि कोयले का मूल्य नियंत्रित रहता है और इस्पात के मूल्य में बढ़ोत्तरी होती है तो चालू तिमाही में घाटे को पाटने की उम्मीद की जा सकती है।