विद्या के अनुरूप आचरण करनेवाला ही विद्वान
बोकारो श्री कृपा की ओर से राम मंदिर सेक्टर एक में सत्संग का आयोजन किया गया। सीताराम शा
बोकारो: श्री कृपा की ओर से राम मंदिर सेक्टर एक में सत्संग का आयोजन किया गया। सीताराम शास्त्री ने लोगों को जीवन का सार बताया। उन्होंने भगवान की महिमा का बखान किया। कहा कि प्रभु की कृपा से ही सब मनोरथ सिद्ध होता है। इसलिए प्रभु की आराधना करनी चाहिए। हनुमान जी विद्वान हैं। विद्या के अनुरुप आचरण करनेवाला ही विद्वान है। वे इसके अनुरूप ही आचरण करते हैं। विद्या से विनम्रता आती है। विनम्रता विद्या का ही गुण है। रावण विद्वान तो था लेकिन वह विद्यावान व विनम्र नहीं था। कहा कि रामचरित मानस में श्री हनुमान ऐसे पात्र हैं जो कभी असफल नहीं हुए। उन्होंने सर्वदा लक्ष्य पर दृष्टि रखा। लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहे। इसलिए अवरोध भी उनके लिए साधन बन गए। आलसी के जीवन में आशीर्वाद भी अवरोध बन जाता है। इसलिए लक्ष्य साध कर कठिन परिश्रम करना चाहिए। हनुमान अपनी साधना को व्यक्त नहीं करते हैं। तप- साधना गुप्त रहना चाहिए, तभी वह फलदायक होगी। मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।