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भूमिगत खदानों पर जहरीली गैस का ग्रहण

बेरमो : सीसीएल के कथारा प्रक्षेत्र के जारंगडीह परियोजना की पांच भूमिगत खदानें बीते चार-पांच

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 06:13 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 06:13 PM (IST)
भूमिगत खदानों पर जहरीली गैस का ग्रहण
भूमिगत खदानों पर जहरीली गैस का ग्रहण

बेरमो : सीसीएल के कथारा प्रक्षेत्र के जारंगडीह परियोजना की पांच भूमिगत खदानें बीते चार-पांच वर्षों से बंद पड़ी है। इनमें एबी माइंस, पांच नंबर खदान, सीडी माइंस, बसंती माइंस और 9 नंबर खदान शामिल है। इन खदानों में काम करने वाले कामगारों, तकनीकी कर्मियों सहित अधिकारियों का सामंजन दूसरी परियोजनाओं में कर दिया गया है लेकिन खदानों को चालू करने की दिशा में स्थानीय या मुख्यालय प्रबंधन की ओर से कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। डीजीएमएस की प्रतिकूल रिपोर्ट के कारण प्रबंधन इन खदानों को आउटसोíसंग कंपनियों को सौंपने में भी असमर्थ है।

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जानकार बताते हैं कि अधिकांश खदानें स्थानीय स्तर पर प्रबंधन की लापरवाही की भेंट चढ़ी है। सीसीएल की एक रिपोर्ट के अनुसार इन खदानों में अरबों रुपये का कोयला फेस मौजूद है। लेकिन खदान के अंदर जहरीली गैस की स्थिति इतनी विकट है कि उत्पादन के लिए अपनाई गई अत्याधुनिक तकनीक भी अब तक विफल होती रही। जानकार बताते हैं कि कोयला कंपनियां अब भूमिगत खदानों को लेकर अधिक दिलचस्पी नहीं ले रही है। भूमिगत खदानों में होने वाले हादसों की संख्या खुली खदानों की तुलना में बहुत अधिक होती है। प्रबंधन को माइंस चलाने में हर दिन नई चुनौतियों से जूझना पड़ता है। वहीं प्रबंधन की इच्छाशक्ति भी अब कमजोर हो रही है।

जानकार बताते हैं कि अगर एबी मांइस को चालू किया जाए तो यहां से तत्काल 7 लाख मैट्रिक टन कोयला का उत्पादन किया जा सकता है। यहां के कोल-फेस का दायरा भी सर्वेक्षण में काफी बढ़ा दिखाया गया है। इसका बाजार मूल्य अरबों में है। इस कोयला फेस के खनन में कोई परेशानी नहीं है, सिर्फ माइंस के अंदर जहरीली गैस को बाहर निकालने की चुनौती है। कोल इंडिया की खदानों में जहरीली गैस का ट्रिटमेंट कोई नई बात नहीं है। बावजूद इसके कथारा क्षेत्रीय प्रबंधन सहित जारंगडीह परियोजना इन लाभकारी इकाईयों को लेकर उदासीन बना हुआ है। पांच नंबर खदान, सीडी माइंस, बसंती माइंस और 9 नंबर खदान की परिस्थितियां भी कमोबेश एक जैसी स्थिति है। बताया जाता है कि जारंगडीह की भूमिगत खदान एबी माइंस में गैस रिसाव के कारण वर्ष 2015 में डीजीएमएस ने इसे आनन फानन में बंद कराया था। कालांतर में सीएमपीडीआई व डीजीएमएस की ओर से खदान के अंदर की गैस को निकालने की कवायद आरंभ की गई थी, इसके लिए जगह जगह ड्रिल कर गैस को निकालने की प्रक्रिया शुरू भी हुई। जानकार बताते हैं आधा दर्जन से अधिक बार खदान का डीएमएस व डीडीएमएस की ओर से निरीक्षण भी किया जा चुका है। पांच नंबर खदान में काम कर चुके मजदूर, ओवरमैन व माइ¨नग सरदार की माने तो माइंस के अंदर गैस रिसाव से परेशानी होती है। यह कोल बेस्ड मिथेन गैस सीबीएम है। एक तो गैस की मांग पूरी होती दूसरी गैस निकलने के बाद कोयला उत्पादन भी हो सकेगा। वर्तमान समय में अगर इन खदानों के चालू किया जाता तो सीसीएल को तत्काल करोडो़ं रुपये का मुनाफा अíजत हो सकता है। इस मामले में जारंगडीह प्रबंधन की ओर से डीएमएस से वार्ता कर खदान खोलने पर चर्चा भी की गई है। डीएमएस अभी खदानों के अंदर कुछ त्रुटियों के निष्पादन को लेकर प्रबंधन को निर्देशित किया है। ----------------------------

बंद पडे़ भूमिगत खदानों को चालू करने के रास्ते में कई पेंच है। एबी माइंस, पांच नंबर खदान, सीडी माइंस, बसंती माइंस और 9 नंबर खदान में सुरक्षा मानकों को दुरुस्त करना सबसे बड़ी चुनौती है। कोयला फेस कहीं जाने वाला नहीं है, लेकिन सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर माइंस को चालू करने पर प्रबंधन को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह मामला अब उच्च स्तरीय निर्णय से ही सुलझ पाएगा। मानकों की गहराई से पड़ताल के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

- ईजे कुमार, डीएमएस, कोडरमा रीजन।


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