विस्थापितों को मिलेगा आर एंड आर पालीसी का लाभ
करगली (बेरमो) देश को कोयले की किल्लत से उबारने को सीसीएल प्रबंधन सक्रिय हो गया है। बेर
करगली (बेरमो) : देश को कोयले की किल्लत से उबारने को सीसीएल प्रबंधन सक्रिय हो गया है। बेरमो कोयलांचल अंतर्गत कारो माइंस का विस्तार करने को बी एंड के प्रक्षेत्र के महाप्रबंधक एमके राव ने विस्थापितों से साथ मांगा। उन्होंने शुक्रवार की शाम करगली आफिसर्स क्लब में कारो बस्ती के विस्थापित प्रतिनिधियों के साथ बैठक करते हुए कहा कि किसी भी विस्थापित के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा। कोल इंडिया की आरआर पालिसी के तहत नियोजन व मुआवजा दिया जाएगा। कारो बस्ती की शिफ्टिग के लिए वहां के विस्थापित सहमति बनाएं। आवश्यक सुविधाओं के साथ सभी को एक साथ पुनर्वासित किया जाएगा।
विस्थापितों व प्रबंधन के बीच समन्वय जरूरी :
महाप्रबंधक राव ने कहा कि कारो माइंस के विस्तार एवं बस्ती की शिफ्टिग के लिए विस्थापितों व प्रबंधन के बीच समन्वय जरूरी है। कई वर्षों से कारो बस्ती की शिफ्टिग के लिए बैठक की जाती रही है, लेकिन सार्थक हल नहीं निकल पा रहा है। सभी विस्थापित आपस में बैठक कर सहमति बनाएं और प्रबंधन को सूचित करें। उसके अनुरूप व्यवस्था कर कारो बस्ती के विस्थापितों को बिजली, पानी, सड़क आदि की सुविधा देकर पुनर्वासित किया जाएगा। विस्थापित भी सीसीएल परिवार के ही सदस्य हैं। जबतक कारो बस्ती की जाती, वहां सीसीएल की ओर से आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। तीन दिन के अंदर बस्ती में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था करा दी जाएगी। साथ ही पेयजल आपूर्ति एवं मार्ग बनवाने की दिशा में भी पहल की जाएगी।
कोयला उत्पादन पर ही क्षेत्र का भविष्य निर्भर :
महाप्रबंधक राव ने कहा कि कारो माइंस का विस्तार करने में आ रही समस्याओं को दूर करने में प्रबंधन का साथ विस्थापित दें। कोयला उत्पादन पर ही इस क्षेत्र का भविष्य निर्भर है। साथ ही देश हित में कोयला निकासी कराना बेहद जरूरी है। समय के साथ देश में कोयले की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिसकी पूर्ति कराना सीसीएल प्रबंधन की जिम्मेदारी है। सीसीएल बी एंड के प्रक्षेत्र के राजस्व अधिकारी बीके ठाकुर ने कहा कि कंपनी की पुनर्वास योजना के तहत व्यस्क विस्थापतों को तीन लाख मुआवजा या पांच डिसमिल जमीन उपलब्ध कराने का प्रविधान है।
तीन लाख के बजाय दिए जाएं 10 लाख रुपये :
विस्थापितों की ओर से प्रताप सिंह ने कारो बस्ती में व्याप्त समस्याओं से प्रबंधन को अवगत कराते हुए कहा कि प्रबंधन की ओर से कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है। कारो बस्ती में पेयजल की सबसे बड़ी समस्या है। साथ ही पास के जंगल जाने-आने का अलग रास्ता नहीं है। कोल ट्रांसपोर्टिंग के रास्ते से ही लोगों को जंगल जाने को विवश होना पड़ता है, जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। बच्चों व युवाओं के खेलने के मैदान में प्रबंधन ने डोजरिग करा दी है, लेकिन आश्वासन के अनुरूप अबतक नया ग्राउंड उपलब्ध नहीं कराया है। पुनर्वास के लिए जमीन के एवज तीन लाख के बजाय 10 लाख रुपये दिए जाएं, ताकि विस्थापित खुद कहीं जमीन खरीदकर बस सकें। मौके पर कारो परियोजना के पीओ केडी प्रसाद सहित विस्थापित प्रतिनिधियों में मेघनाथ सिंह, सोहनलाल मांझी, परमेश्वर सिंह, अजय गंझू आदि मौजूद थे।