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महिलाओं का घर से बाहर निकलकर मतदान करना बड़ा बदलाव

बेरमो गिरिडीह संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत बेरमो के संडेबाजार की 80 वर्षीय कौशल्या देवी ने बह

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 03:44 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 03:44 PM (IST)
महिलाओं का घर से बाहर निकलकर मतदान करना बड़ा बदलाव
महिलाओं का घर से बाहर निकलकर मतदान करना बड़ा बदलाव

बेरमो : गिरिडीह संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत बेरमो के संडेबाजार की 80 वर्षीय कौशल्या देवी ने बहू से दादी तक की जीवनयात्रा में कई चुनाव में मतदाता बन चुकी हैं। सोमवार को उन्होंने पहले और अब के चुनावों में आए बदलाव को लेकर दैनिक जागरण से अपना अनुभव साझा किया और कई रोचक बातें बताई.. चुनाव तब और अब : पहले के चुनाव में आज की तरह अत्यधिक शोरगुल नहीं होता था, न ही मतदान केंद्रों पर आज की तरह सुविधाएं होती थीं। मुझे लगता है कि पहले और आज में काफी अंतर है। आज के समय में लोगों में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। आज तो घर से बाहर निकलकर महिलाएं भी मतदान करने के लिए जा रही हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं था। यह एक बड़ा बदलाव है।

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मतदाताओं की सोच तब और अब : पहले लोगों को किसी जनप्रतिनिधि से कोई अपेक्षा नहीं होती थी। नि:स्वार्थ भाव से देश एवं राज्य हित में उत्सुकता के साथ मतदान करते थे। आज अधिकतर लोग किसी न किसी राजनेता या दल से लगाव रखते हैं, जबकि पहले उस क्षेत्र के उम्मीदवार की छवि लोगों के लिए अहम होती थी।

नेता तब और अब : पहले के नेताओं में भाईचारा की प्रबलता थी। वर्तमान के नेताओं में खुद के लाभ की राजनीति है। नेताओं से लोगों का जुड़ना विवशता है। -दैनिक जागरण आपके लंबी उम्र की कामना करता है।

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मतदाता व मतदानकर्मी के रूप में कई चुनाव में लिया भाग फोटो : 18 बीईआर 06 - गिरिडीह संसदीय क्षेत्र अंतर्गत बेरमो के संडेबाजार निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक यमुना प्रसाद सिंह (83) ने मतदाता एवं मतदानकर्मी के रूप में कई चुनाव में भाग लिया है। उन्होंने चुनाव के संदर्भ अपना अनुभव दैनिक जागरण से साझा किया .. चुनाव तब और अब : बैलेट पेपर से लेकर इवीएम तक का सफर चुनाव में इन्होंने देखा है। इनका कहना है कि अब चुनाव प्रक्रिया को नए युग के बदले परिवेश के अनुरूप ढ़ाल दिया गया है। इससे मतदाताओं व मतदानकर्मियों के लिए मतदान करना व कराना सहज हो गया है।

मतदाता तब और अब : पहले की अपेक्षा वर्तमान के मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है खासतौर से महिलाओं में। पहले की भांति कमोबेश आज भी अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे मतदाता सही जनप्रतिनिधियों के चयन में बाधक हैं। मतदाताओं की सोच तब और अब : पहले लोग यह सोचकर वोट देते थे कि उनके चुने हुए जनप्रतिनिधि हर जनसमस्या का समाधान कराएंगे। एक अभिभावक की भूमिका निभाते हुए सही मार्गदर्शक सिद्ध होंगे। वर्तमान समय में सोच का पैमाना बदल गया है। नेता तब और अब : पहले के नेताओं का लोगों से आत्मिक जुड़ाव होता था। वर्तमान में यह जुड़ाव केवल दिखावा या विवशता है।

-दैनिक जागरण आपके लंबी उम्र की कामना करता है।


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