जनगणना के सहारे हक मांगने की तैयारी
संवाद सहयोगी तालगड़िया सरकार जहां जनगणना की तैयारी में जुटी है वहीं सूबे का कुड़मी सम
संवाद सहयोगी, तालगड़िया : सरकार जहां जनगणना की तैयारी में जुटी है, वहीं सूबे का कुड़मी समाज भी इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा है। झारखंड का टोटेमिक कुड़मी समाज अपने को कुड़मी जनजाति मानता है और इस समाज का कहना है कि सरकार ने उसे अपने अधिकार से वंचित रखा है। अब वह अपना हक लेकर करेंगे। 2021 की जनगणना इनके लिए खास अहमियत रखती है। जनगणना 2021 में समाज के लोग अपनी जाति कुड़मी और भाषा कुड़माली दर्ज कराकर अपनी आबादी से सरकार को ध्यानाकर्षण कराना चाहते हैं। सरना कोड के लिए भी वह संघर्ष कर रहे हैं।
2011 जनगणना के अनुसार कुड़मी जाति की आबादी 80 लाख थी जो वर्तमान में करीब एक करोड़ के करीब है। पूरे झारखंड में कुड़मी बहुल 40400 गांव हैं। कुड़मी समाज के प्रबुद्ध लोगों का मानना है कि 1872 से 1931 तक कुड़मी जनजाति को जनगणना में एनिमिस्ट, एबोरिजिनल, ट्राइब, प्रिमिटिव ट्राइब कहा गया। 1931 में कुड़मी एसटी सूची में शामिल थे। 1951 की जनगणना में कुड़मी को बिना कोई कारण बताए सूची से हटा दिया गया। एसटी सूची में शामिल होने के लिए सड़क से सदन तक आंदोलन करने वाले कुड़मी समाज के लोग जनगणना को एक आधार मान रहे हैं। समाज के प्रबुद्ध लोगों का मानना है कि जनगणना में जाति कुड़मी, भाषा कुड़माली और धर्म सरना दर्ज कराने के बाद सरकार हमारी मांगें मानने को बाध्य होगी।
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वर्जन ::
जनगणना को लेकर जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। जाति कुड़मी और भाषा कुड़माली दर्ज कराई जाएगी। एसटी सूची में शामिल होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
ध्रुव महतो, जिलाध्यक्ष, कुड़माली भाखिचारी अखाड़ा।
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भाषा और संस्कृति कुड़मी जाति की पहचान है। जनगणना में जाति कुड़मी और भाषा कुड़माली दर्ज कराई जाएगी। जनगणना के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
चौधरी चरण महतो, अध्यक्ष, कुड़मी युवा मोर्चा। ---------------
वर्जन ::
सरकारी की उपेक्षा को लेकर समाज में रोष व्याप्त है। छोटानागपुर पठार में जनजागरण कार्यक्रम चलेगा। उम्मीद है कि सरकार अपनी भूल को सुधार करते हुए हमारी मांगें पूरी करें।
दयामय महतो, सदस्य, आदि कुड़मी युवा शक्ति