कप्तान साहब के आदेश को भी 'हिट एंड रन' कर गए थानेदार
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक हिट एंड रन के केस में पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा ि
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक हिट एंड रन के केस में पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा दिया जाना चाहिए। कप्तान ने पीड़ितों का दुख कम करने के लिए लंबित मामलों का तत्काल निस्तारण करने का आदेश जिले के सभी थानेदारों को दिया। इस संबंध में उन्होंने रिपोर्ट भी मांगी थी। हैरानी की बात यह है 42 थानेदारों में दो-चार ने फरमान पर गौर फरमाया वह भी अधूरा। शेष, दारोगा कप्तान के आदेश को हिट एंड रन कर गए।
सड़क दुर्घटना के मामलों में घायलों के अलावा मृतक के परिजनों को सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार मुआवजा देना है। घायलों को साढ़े 12 हजार रुपये तो मृतक के आश्रित को 25 हजार रुपये मुआवजा मिलने का नियम है। जिले में थानेदारों की लापरवाही व जागरूकता के अभाव की वजह से लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
कप्तान ने जिले भर के थानेदारों को यह निर्देश दिया है कि एक माह के अंदर ऐसे मामलों के पीड़ित पक्ष को मुआवजा के लिए आवेदन देने को प्रेरित किया जाए। पुराने मामलों में जुलाई 2017 से 2020 के अक्टूबर माह तक हुई घटनाओं को खोजा जाए। कप्तान ने 28 जुलाई और 18 नवंबर को सभी थाना प्रभारियों को दो बार पत्र लिखा। एसपी के आदेश पर भी थानेदार गंभीर नहीं हुए। पुराने मामलों को तो छोड़िए इस वर्ष अक्टूबर तक हुए कुल 56 मामलों में महज आधा दर्जन मामलों में ही कार्रवाई हुई। 56 मामलों में 44 मृतकों की संख्या रही तो 12 घायल हुए।
-15 दिन में जांच के हैं निर्देश- सड़क दुर्घटना के मामलों की जांच 15 दिन में करने का आदेश है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट कर रखी है, लेकिन जिले थानेदार सुप्रीम आदेश की भी अवमानना करने से नहीं चूकते हैं। यही वजह है कि सड़क दुर्घटना के सैकड़ों मामले महीनों से लंबित पड़ें हैं, उनकी जांच पूरी नहीं हो पायी है। उपायुक्त सह जिला सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष भी पहले संबंधित अधिकारियों को जांच में तेजी लाने का आदेश देते रहे हैं लेकिन जांच की प्रक्रिया में तेजी नहीं आ सकी।
---क्लेम के लिए कैसे करें आवेदन : अज्ञात वाहन की चपेट में आने वाले व्यक्ति या उनके आश्रित जिला परिवहन कार्यालय के अधीन कार्यरत सड़क सुरक्षा समिति के कार्यालय में आवेदन जमा करते हैं। आवेदन के साथ आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाते का पूरा ब्यौरा, प्राथमिकी की प्रति, मेडिकल रिपोर्ट में इलाज अगर हुआ तो डिस्चार्ज बिल या फिर मौत होने की स्थिति में पोस्टमार्टम रिपोर्ट, रेवेन्यू स्टांप देना है। सड़क सुरक्षा समिति आवेदन मिलते ही इसे चास या फिर तेनुघाट एसडीओ को भेज देती है। यहां से आवेदन प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी के यहां से होते हुए थाने जांच के लिए पहुंचता है। थाने से जांच पूरी होने के बाद सीओ बीडीओ और एसडीओ कार्यालय होते हुए आवेदन फिर से सड़क सुरक्षा समिति के कार्यालय में पहुंचता है। जांच प्रक्रिया पूरी होते ही उपायुक्त सह क्लेम सेटेलमेंट कमिश्नर के माध्यम से क्लेम मिलता है। जनवरी से 15 दिसंबर तक हुए हादसे:
44 मौत, 12 घायल