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नुकीले पत्थरों से होगा छठ व्रतियों का सामना

फोटो : 12 बीईआर 18 - फुसरो की दामोदर नदी के छठ घाटों की सुध नहीं रहा सरकार

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:39 PM (IST)
नुकीले पत्थरों से होगा छठ व्रतियों का सामना
नुकीले पत्थरों से होगा छठ व्रतियों का सामना

फोटो : 12 बीईआर 18 - फुसरो की दामोदर नदी के छठ घाटों की सुध नहीं रहा सरकार तंत्र, जनसंगठन भी उदासीन

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जागरण संवाददाता, बेरमो / फुसरो (बेरमो) : आस्था का महापर्व छठ शुरू हो चुका है। छठ घाटों में सफाई अभियान भी तेज है। लेकिन फुसरो स्थित दामोदर नदी के छठ घाटों पर नुकीले पत्थरों और रिजेक्ट कोल के अवशेषों से व्रतियों की मुश्किलें बढ़ेंगी। इन घाटों पर नुकीले पत्थरों पर जब छठ व्रतियों को नंगे पांव सूर्योपासना के लिए जाना होगा और अ‌र्घ्य के दौरान वहां घंटों खड़ा रहना पड़ेगा तो उनकी परेशानियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। हर साल की तरह इस साल भी छठ व्रतियों को इस मुश्किल से निकालने का कोई कारगर प्रयास सरकारी तंत्र या जन संगठनों की ओर से नहीं किया गया। इन नुकीले पत्थरों पर रेत की चादर ही डाल दी जाती तो बहुत हद तक इसका समाधान हो सकता था, लेकिन नदी का जल स्तर बढ़ने पर रेत कितने समय तक वहां टिकी रहेगी यह भी बड़ा सवाल है।

बता दें कि फुसरो स्थित दामोदर नदी के तट पर छठ महापर्व में हजारों की संख्या में लोग वहां जुटते हैं। अनुमंडल प्रशासन की ओर से छठ घाटों पर मूलभूत नागरिक सुविधा और सुरक्षा की बात की जाती है, लेकिन इन नुकीले पत्थरों का कोई तोड़ प्रशासनिक महकमा के पास नहीं है। हर साल छठ व्रतियों सहित श्रद्धालुओं को दामोदर नदी तट पर इस दुरुह घाटों का सामना करना पड़ता है। फुसरो के भेड़मुक्का छठ घाट, हथिया पत्थर, हिन्दुस्तान पुल और ढोरी खास छठ घाट पर अप्रत्याशित भीड़ जुटती है। हिन्दुस्तान पुल के नीचे छठ घाट पर दामोदर नदी की जलधारा भी काफी दूर चली जाती है, इससे छठ घाट के रास्ते की लंबाई भी नदी में बढ़ जाती है। नदी में रेत के बजाए सिर्फ पत्थर होने से व्रतियों को वहां आवागमन में काफी परेशानी होती है। प्रशासन चाहे तो नुकीले पत्थरों सहित रिजेक्ट कोल के अवशेषों पर बालू डालकर तत्काल छठ व्रतियों की राह आसान कर सकता है।

------------------------------------नगर परिषद की ओर से घाटों की साफ सफाई कराई गई है वहीं संपर्क पथों की मरम्मत का कार्य भी चल रहा है। स्थानीय श्रद्धालुओं को इसके लिए प्रयास करना चाहिए और नप के संसाधन से वहां बालू डालने का कार्य कराना चाहिए। पूरी नदी के तट से नुकीले पत्थरों को हटाना संभव नहीं है। जगह जगह सुविधानुकूल कार्य किए जा सकते हैं। नुकीले पत्थरों पर रेत डालवाने का कार्य नगर प्रशासन की ओर से मंगलवार को करा दिया जाएगा। - राकेश कुमार ¨सह, अध्यक्ष, नप।


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