मकर संक्रांति मेला में मनोरंजन, आनंद व श्रद्धा का संगम
जरीडीह बाजार स्थित दामोदर नदी तट पर लगे दो दिवसीय मेला में आए लोगों ने दामोदरनाथ महादेव मंदिर में पूजा की। मेले में लगे झूले का युवतियों व बच्चों ने जमकर आनंद लिया।
बेरमो : मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में शुक्रवार को बेरमो कोयलांचल के जरीडीह बाजार, देवीपुर, तेलो, तरंगा व राजाबेड़ा में मेला लगा। मेले में जुटे हजारों लोगों ने पूजा-पाठ कर मेले का आनंद लिया। जरीडीह बाजार स्थित दामोदर नदी तट पर लगे दो दिवसीय मेला में आए लोगों ने दामोदरनाथ महादेव मंदिर में पूजा की। मेले में लगे झूले का युवतियों व बच्चों ने जमकर आनंद लिया।
वहीं, गोमिया प्रखंड की होसिर पश्चिमी पंचायत के देवीपुर में लगे मेला के दौरान श्रद्धालुओं ने स्थानीय खेलायचंडी मंदिर में पूजा की। परंपरा के अनुरूप कई कबूतरों को उड़ाया गया। मेला समिति के अनिलनाथ देव ने बताया कि इस बार कोरोना के मद्देनजर यहां खेलायचंडी मेला मात्र एकदिवसीय लगाया गया जबकि बीते कई वर्षो से यहां पांच दिवसीय मेला लगाया जाता रहा है। यहां मेला के दौरान गोमिया सर्किल के पुलिस इंस्पेक्टर सुजीत कुमार, गोमिया थाना प्रभारी आशीष खाखा, आइईएल थाना प्रभारी यमुना चौधरी व एएसआइ अरविद शर्मा पुलिस बल के साथ तैनात रहे। साथ ही भाजपा नेता देवनारायण प्रजापति, मुखिया रामवृक्ष रविदास व उपमुखिया नंदू प्रजापति सहित नारायण पाठक, अनिलनाथ देव, नारायण रविदास, मदन यादव, तारमेश्वर प्रजापति, योगेंद्र प्रसाद, धनेश्वर प्रसाद, अशोक रविदास आदि उपस्थित थे।
चंद्रपुरा प्रखंड की तेलो पूर्वी पंचायत के महादेवगढ़ा और तरंगा पंचायत के छगरकनारी महादेव मंदिर परिसर में खेलायचंडी मेला लगाया गया। उन मंदिरों में हजारों लोगों ने माता पार्वती व भगवान महादेव की पूजा-अर्चना कर मेले का आनंद लिया। कई लोगों ने अपने बच्चों का मुंडन भी कराया। मंदिर व मेला में सुबह से ही लोगों का आना शुरू हो गया। यह सिलसिला शाम तक चलता रहा। महादेवगढ़ा मेला में गन्ने की बिक्री भी खूब हुई। भंडारीदह-चंद्रपुरा मुख्य मार्ग के राजाबेड़ा स्थित भंडारदह मंदिर में हजारों लोगों ने पूजा कर एकदिवसीय मेले का लुत्फ लिया। सुबह से ही यहां स्थित दामोदर नदी तट पर स्नान-ध्यान व दान-पुण्य के लिए महिला-पुरुषों का तांता लगा रहा। यहां के मेले में ईख की बिक्री विख्यात है। यहां दो मंदिर है। उनमें एक भंडारदह मंदिर व दूसरा इंदरचुआं मंदिर कहलाता है, जिसमें महिला-पुरुष ग्रामीणों ने पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। आदिवासी पुजारी मांझी हड़ाम ने वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत ग्राम देवता एवं जल देवता की पूजा कराई। मंदिर के पुजारी सत्यानंद पांडेय ने बताया कि यहां सोहराय, सरहुल, अषाढ़ी पर्व व मकर संक्राति के अवसर पर दामोदर नदी में स्नान-ध्यान के पश्चात पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से पूरी होती है।