बहिर्मुखी प्रक्रिया में होता भूमा चित का उद्भव
बोकारो आनंद मार्ग प्रचारक संघ की बौद्धिक शाखा रेनासा यूनिवर्सल की ओर से श्रीश्री आनंदमूर्ति
बोकारो : आनंद मार्ग प्रचारक संघ की बौद्धिक शाखा रेनासा यूनिवर्सल की ओर से श्रीश्री आनंदमूर्ति जी के दर्शन में भूमा मन और अणु मन के ऊपर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया है। वेबिनार में मुख्य वक्ता आचार्य दिव्य चेतनानंद अवधूत ने भूमा मन को ईश्वरीय मन के रूप में बताते हुए कहा कि इसका सृष्टि पुरुष यानि शिव जब इच्छा प्रकट करते हैं और जब प्रकृति व्यक्त करती है तब सृष्टि का काम शुरू होता है। जिसे सगुण ब्रह्मा कहते हैं। इस बहिर्मुखी प्रक्रिया में भूमा महत, भूमा अहम और भूमा चित का उद्भव होता है और इन तीनों के संयुक्त नाम को भूमा मन कहते हैं। ठीक उसी तरह अंतर्मुखी प्रक्रिया में अणु चित, अणु अहम और अणु महत का उद्भव होता है, जिसे संयुक्त रुप में अणु मन या जीवों का मन कहते हैं। इस बहिर्मुखी और अंतर्मुखी प्रक्रिया के स्वरुप से ही जगत का सृष्टि हुआ है। वेबिनार में डॉ. सुरेंद्र मोहन मिश्र, डॉ. अनिल प्रताप गिरि, डॉ. मीनाक्षी जोशी आदि शामिल थे।