बीएसएलकर्मियों के लिए आज से ई-पास अनिवार्य
जागरण संवाददाता बोकारो झारखंड सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत 27 मई तक आंशिक
जागरण संवाददाता, बोकारो: झारखंड सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत 27 मई तक आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है। इस दौरान घर से बाहर आवाजाही करने वाले आमजनों के साथ केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी ई-पास की वैधता अनिवार्य की गई है। इसी कड़ी में बोकारो इस्पात संयंत्र में काम करने वाले कर्मचारी-अधिकारी व ठेका श्रमिकों के लिए मंगलवार से ड्यूटी पर आवाजाही करने के लिए ई-पास अनिवार्य कर दिया गया है।
मतलब 18 मई से दो व चारपहिया वाहन से ड्यूटी आने-जाने वाले कर्मियों को ई-पास बनाना होगा। अन्यथा प्रशासन उनपर सख्त कार्रवाई करेगा। इसके विरोध में कई श्रमिक संगठन एक मंच पर आ गए हैं। उनका कहना है कि इस विषम परिस्थिति में झारखंड समेत देश के अलग-अलग राज्यों में कोरोना मरीजों लिए ऑक्सीजन प्रदान करने वाले संयंत्रकर्मियों पर सरकार व प्रशासन का यह शिकंजा यह साबित करता है कि वह ई-पास के नाम पर उन्हें परेशान करना चाहती है। सेल बोकारो इस्पात संयंत्र भारत सरकार की सार्वजनिक लोक उपक्रम कंपनी है, जहां 24 घंटे उत्पादन का काम होता है। केंद्र सरकार सेल व कंपनी के कर्मियों को आवश्यक सेवाओं के श्रेणी में रखी हुई है। ऐसे में राज्य सरकार को शीघ्र इस फैसले को वापस लेना चाहिए।
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सरकार का सिस्टम पूरी तरह से फेल हो गया है। बीएसएलकर्मियों के लिए ई-पास का निर्णय सिर्फ उन्हें परेशान करने के लिए है। सरकार को कोरोना के रोकथाम के लिए पूरे प्लांट को ही बंद कर देना चाहिए। इसके बाद उन्हें संयंत्रकर्मियों के श्रम व कंपनी की अहमियत का पता चलेगा।
राजेंद्र सिंह, महामंत्री, किम्स सह एनजेसीएस सदस्य
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बोकारो इस्पात संयंत्र में ई-पास योजना को लागू करना सरकार की गलत मानसिकता को दर्शाता है। इससे अधिकारी-कर्मचारी व ठेका श्रमिकों को काफी परेशानी होगी। बीएसएल में काम करने वाले संयंत्रकर्मी भारत सरकार के मुलाजिम है। उनके निर्गत गेट पास को ही ई-पास का दर्जा देते हुए सरकार को यह आदेश वापस लेने की जरूरत है।
साधु शरण गोप, महासचिव, जनता मजदूर सभा ।
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बोकारो इस्पात संयंत्र व यहां के कर्मी आवश्यक सेवाओं से जुड़े हुए हैं। उनके लिए ई-पास लागू करना सरासर गलत निर्णय है। इससे नगर क्षेत्र में बिजली, पानी आदि की व्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। सरकार को फैसला वापस लेना चाहिए।
बीके चौधरी, महामंत्री, जय झारखंड मजदूर समाज
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बीएसएल में ई-पास योजना लागू किये जाने का हम तीव्र विरोध करते है। विषम परिस्थिति में कंपनी का काम करने वाले लोगों पर सरकार का यह निर्णय काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे ड्यूटी पर आवाजाही करने वाले श्रमिकों को परेशानी होगी, जिससे उत्पादन भी प्रभावित होगा। ई-पास का फैसला वापस होना चाहिए।
डीसी गोहाई, महामंत्री, झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन ।
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बीएसएल में काम करने वाले श्रमिक व अधिकारियों को ई-पास के नियम से बाहर रखना चाहिए। सेल एक सार्वजनिक लोक उपक्रम संस्था है और यहां के कर्मचारी आवश्यक सेवाओं से जुड़े हुए है। ऐसे में ड्यूटी आते-जाते समय कंपनी द्वारा निर्गत उनके गेटपास को ही ई-पास का दर्जा सरकार व प्रशासन को देना चाहिए।
मनोज कुमार, महासचिव, बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन ।
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ई-पास योजना के दायरे से बैंक आने-जाने वाले ग्राहकों को बाहर रखना चाहिए। बैंक तो खुल रहे हैं लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे हैं। लोगों में कोरोना को लेकर स्वयं काफी जागरूकता है। वह बेवजह घर से बाहर नहीं निकल रहे है। फैसले पर सकरार को पुनर्विचार करने की जरूरत है।
सिद्धेश नारायण दास, जिला संयोजक, यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ।