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विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे शिक्षा माफिया

बोकारो चास-बोकारो के कुछ शिक्षा माफिया धन कमाने की लालसा में विद्यार्थियों के भविष्य के स

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 10:00 AM (IST)
विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे शिक्षा माफिया
विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे शिक्षा माफिया

बोकारो : चास-बोकारो के कुछ शिक्षा माफिया धन कमाने की लालसा में विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वे यहां के विद्यार्थियों को दूसरे राज्यों से मैट्रिक की परीक्षा दिलवा रहे हैं। कुछ शिक्षा माफिया चास के अलावा जिले के विभन्न शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय का संचालन करते हैं। अपने विद्यालय में विद्यार्थियों को आठवीं तक की शिक्षा प्रदान करते हैं। इसके बाद वे बिहार व पश्चिम बंगाल के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालक की साठगांठ से अपने यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों से पांच से आठ हजार रुपए लेकर नौवीं कक्षा में रजिस्ट्रेशन करा देते हैं। इसके बाद वे इन बच्चों को दो वर्ष कक्षा नौंवी एवं दसवीं की को¨चग देते हैं। जिन सीबीएसई मान्यताप्राप्त विद्यालयों में विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन कराया जाता है, वहां इन्हें नियमित कक्षा में उपस्थित रहने की भी आवश्यकता नहीं होती है। मैट्रिक में रजिस्ट्रेशन व फॉर्म भरने के लिए नाम विद्यार्थियों से पुन: पांच से आठ हजार रुपए लिए जाते हैं।

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स्कूल प्रबंधन दूसरे राज्य के गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय के विद्यार्थियों का रजिस्टर पूरी तरह दुरुस्त कर देते हैं। इसके बाद इन्हें मैट्रिक की परीक्षा में शामिल कराया जाता है। इस पूरे मामले में एक ओर विद्यार्थी व अभिभावक ठगे जा रहे हैं, वहीं कुछ शिक्षा माफिया व स्कूल संचालक मालामाल हो रहे हैं।

बिहार व पश्चिम बंगाल के विद्यालय संचालकों से जुड़े तार

चास-बोकारो के कुछ शिक्षा माफिया के तार बिहार व पश्चिम बंगाल के मान्यताप्राप्त विद्यालय संचालक से जुड़े हैं। वे मैट्रिक की परीक्षा दिलाने के नाम पर हर वर्ष लाखों रुपए का वारा-न्यारा करते हैं। वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग इसपर रोक लगाने में पूरी तरह विफल साबित हो रहा है। विभाग की ओर से जिले के लगभग 450 गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की सूची तैयार की गई है। इनमें से कई गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों में सुविधा व संसाधन का घोर अभाव है। कई विद्यालय भाड़े की दुकान व मकान में संचालित किए जा रहे हैं। इसके बावजूद इन्हें आज तक बंद नहीं कराया जा सका है।

विद्यार्थी भविष्य को लेकर ¨चतित

रामनगर कॉलोनी चास के एक गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक ने मोटी रकम लेकर कई विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन पश्चिम बंगाल के सीबीएसई मान्यता प्राप्त विद्यालय से करा दिया। स्कूल प्रबंधक ने यह बात विद्यार्थियों व अभिभावकों से छिपा कर रखा कि वे किस विद्यालय से उनका रजिस्ट्रेशन कराया गया। जब विद्यार्थियों को मैट्रिक परीक्षा का प्रवेश पत्र मिला, तब उन्हें यह पता चला कि उनका दाखिला पश्चिम बंगाल के एक सीबीएसई मान्यता प्राप्त विद्यालय से करा दिया गया है। जब उन्होंने विद्यालय प्रबंधक से इस संबंध में बातचीत की तो उनका कहना था कि वे तो सीबीएसई से मान्यता प्राप्त विद्यालय से ही परीक्षा देंगे। उन्हें प्रमाण पत्र तो सीबीएसई से ही मिलेगा। विद्यार्थियों ने इस पर आपत्ति जाहिर की। विद्यार्थियों ने कहा कि वे चास के निवासी हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल के विद्यालय से प्रमाण पत्र मिलने पर जब उन्हें आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने की आवश्यकता होगी, उस वक्त वे इस प्रमाण पत्र का उपयोग नहीं कर सकेंगे। विद्यार्थी इसकी शिकायत करने जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पहुंचे, लेकिन उनके मुलाकात नहीं हो सकी। जब विद्यालय प्रबंधन से दूरभाष पर बातचीत की गई तो वे साफ मुकर गए। उनका कहना था कि वे कक्षा आठवीं तक ही बच्चों को पढ़ाते हैं। इसलिए उन्होंने विद्यार्थियों का दाखिला नौंवी कक्षा में नहीं कराया है। उनके अभिभावकों ने ही उनका दाखिला पश्चिम बंगाल के विद्यालय में कराया है। कहा कि शिक्षा विभाग की ओर से उनके विद्यालय को यू डायस कोड दिया गया है। इसलिए उनके विद्यालय के स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मान्यता किसी भी विद्यालय में हो सकती है।

जांच में मामला होगा साफ

गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक के अनुसार अभिभावकों ने खुद अपने बच्चों का दाखिला पश्चिम बंगाल के स्कूल में कराया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर चास के बच्चों का दाखिला पश्चिम बंगाल के सीबीएसई मान्यता प्राप्त विद्यालय में किस आधार पर किया गया। रामनगर कालोनी चास के विद्यार्थियों का दाखिला किसने पश्चिम बंगाल के विद्यालय में कराया। जब विद्यार्थी चास में रहते थे, तो कक्षा नौंवी व मैट्रिक की नियमित हाजिरी किसने बनाई। यह मामला जांच में साफ होगा।

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वर्जन

गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों के स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मान्यता नहीं है। विद्यालय को मान्यता प्राप्त कर ही संचालित करना है। विद्यार्थियों का दूसरे राज्यों के मान्यता प्राप्त विद्यालय से फार्म भरवाना गलत है। शिकायत मिलने पर गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।

नीलम आइलिन टोप्पो, जिला शिक्षा पदाधिकारी


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