पहले मतदान केंद्रों पर मिलता था झिलिया और गुलगुला
चंद्रपुरा मैं 70 के दशक में नर्रा पंचायत का मुखिया बना था। पहले चुनाव के दौरान एक-डेढ़
चंद्रपुरा : मैं 70 के दशक में नर्रा पंचायत का मुखिया बना था। पहले चुनाव के दौरान एक-डेढ़ महीना तक ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह का माहौल रहता था। प्रत्याशी के पक्ष में दीवार लेखन से चुनावी तापमान बढ़ता था। हर किसी को चुनावी गहमागहमी का इंतजार रहता था। उस वक्त पद्मा महाराजा का हेलीकॉप्टर देखने के लिए भीड़ होती थी। चुनाव के दिन बूथों पर मतदाताओं के बीच झिलिया और गुलगुला बंटता था।
यह कहना है चंद्रपुरा प्रखंड के नर्रा पंचायत के पूर्व मुखिया 83 वर्षीय चेतलाल महतो का। उन्होंने कहा कि वोट देने के लिए नोट, मुर्गा, मछली एवं दारू का प्रचलन नहीं था। उस समय आयोग की भी इतनी सख्ती नहीं होती थी। मीटिग में प्रत्याशी और वोटर खुलकर बात करते थे। कोई लॉबिग नहीं होती थी। उस समय चुनाव लड़ने के लिए योग्य प्रत्याशी की खोज की जाती थी। इसमें जनता की राय का विशेष महत्व होता था। लेकिन अब स्थिति एकदम विपरीत है।